इंदौर। डिजिटल अरेस्ट (digital arrest) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस साल अब तक इंदौर (Indore) पुलिस के पास ऐसे 20 मामले आए हैं, जिनमें करोड़ों (Crores) की ठगी (fraud) हुई है। एक खास बात यह है कि सभी ठगी के शिकार लोग हाईप्रोफाइल (high profile) और पढ़े-लिखे हैं।
पिछले कुछ माह से साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने का नया तरीका ईजाद किया है। वे ईडी, नारकोटिक्स, सीबीआई, मुंबई क्राइम ब्रांच, ट्राई या किसी और एजेंसी के नाम पर लोगों को वीडियो कॉल कर धमकाते हैं कि उनका बेटा या बेटी किसी केस में फंस गया है या फिर उनके पार्सल में ड्रग्स निकली है अथवा यह भी कहते हैं कि उनके दस्तावेजों का उपयोग हुआ है। ऐसा कर वे लोगों को पुलिस अधिकारी की वर्दी में डराकर ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करवा लेते हैं। इंदौर की बात करें तो इस साल पुलिस के पास अब तक 20 मामले पहुंचे हैं। इनमें ठगी के शिकार लोग इंजीनियर, दो डॉक्टर, उद्योगपति, रिटायर्ड अधिकारी, वैज्ञानिक, शिक्षक और तीन महिलाएं हैं। हालांकि पुलिस ने 20 में से 3 मामलों में ही केस दर्ज किया। बाकी सभी मामलों की जांच शिकायत के आधार पर चल रही है। पुलिस ने कुछ मामलों में ठगों के खाते ब्लॉक करवाकर कुछ लोगों का पैसा बचाया भी है, लेकिन प्रमुख आरोपी विदेश में होने से एक भी मामले में पुलिस गिरोह के सरगना को नहीं पकड़ सकी है। ये सभी ठग भारतीय हैं और दुबई, पाकिस्तान, मलेशिया, चायना जैसे देशों में बैठकर ऑपरेट कर रहे हैं।
दो दर्जन से अधिक लोग समझदार निकले बच गए
पुलिस के पास दो दर्जन से अधिक शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें लोग डिजिटल अरेस्ट होने से बच गए। पुलिस का कहना है कि लगातार पुलिस साइबर पाठशाला लगाकर लोगों को जागरूक कर रही है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने से बच गए। ऐसा ही एक मामला परसों आया था, जिसमें एक सूबेदार को डिजिटल अरेस्ट का प्रयास हुआ था।
आगरा में चली गई शिक्षिका की जान
डिजिटल अरेस्ट के डर से अब लोगों की जान पर बन आई है। आगरा में कुछ दिन पहले एक शिक्षिका को डिजिटल अरेस्ट कर कहा गया कि उसकी बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी गई है। सदमे के चलते उसे अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई।