img-fluid

देश में क्‍या है भारत तिब्बत सीमा पुलिस की अहम भूमिका, जानें सब कुछ

October 24, 2021

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) बल की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को हुई थी। आईटीबीपी Indo Tibetan Border Police की शुरुआत केवल चार पलटनों के एक छोटे से दल के रूप में हुई जो अब 45 सेवा पलटनों और चार विशेषीकृत पलटनों का वृहत रूप ले चुका है।। आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा और रखवाली करना, सीमा की जनता को सुरक्षा की भावना प्रदान करना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और आन्तरिक सुरक्षा कर्तव्यों का निर्वहन और आपदा प्रबन्धन आदि करना है।

वर्तमान में आईटीबीपी प्राथमिकता लद्दाख में काराकोरम दर्रे से अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 3,488 किमी. लंबी भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात है। इसके अलावा बल कई आंतरिक सुरक्षा कर्तव्‍यों एवं छत्‍तीसगढ में वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध अभियानों में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

19 हजार फीट ऊंचाई से कर रहे जवान देश की सुरक्षा
बल की अधिकांश सीमा चौकियां 9,000 फीट से 18,800 फीट तक की ऊंचाइयों पर स्थित हैं जहां तापमान शून्‍य से 45 डिग्री सेल्शियस तक नीचे चला जाता है। घटते बढ़ते 3,488 कि॰मी॰ लम्बे पर्वत क्षेत्र, शून्य से भी नीचे के पारे में चिलचिलाती सर्दीली जगहों, अथाह घाटियों, दुर्गम गड्ढों, अंधियारी नदियों, खतरनाक ग्लेशियरों, पथरीली ढालों और अदृश्य प्राकृतिक खतरों के बीच आईटीबीपी के जवान और अधिकारी अपने सेवा काल का एक बड़ा हिस्सा बिताते हैं। यह काराकोरम दर्रे (जम्मू कश्मीर में तिब्बत तक व्यापार का पुराना मार्ग) से अरुणाचल प्रदेश में दिफू ला तक विस्तृत है।


आईटीबीपी राष्‍ट्र का एक विशेष सशस्‍त्र पुलिस बल है जो अपने जवानों को गहन सामरिक प्रशिक्षण के अलावा पर्वतारोहण और स्कीइंग समेत अन्‍य कई विधाओं में प्रशिक्षित करता है जिससे बल की एक विशिष्‍ट छवि है। आईटीबीपी हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिए ‘फर्स्‍ट रेस्‍पोंडर’ के रूप में राहत व बचाव अभियानों का संचालन भी करती है। बल का पिछले 6 दशकों का स्‍वर्णिम इतिहास रहा है जिसमें बल के जवानों ने विभिन्‍न कर्तव्‍यों के दौरान देश सेवा में अनेकों बलिदान दिए हैं।

‘बहादुरी और निष्ठापूर्ण प्रतिबद्धता’ ये है आईटीबीपीएफ के मायने
आईटीबीपीएफ के चिन्ह में संक्षिप्तता से इसके लोकाचार का वर्णन है यानि, ‘बहादुरी और निष्ठापूर्ण प्रतिबद्धता’। एक आटीबीपी जवान अपने नमक के प्रति वफादार, अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान और इंसानी या प्राकृतिक, किसी भी तरह की कठिन परिस्थिति में अडिग रहता है। वह चीजों में सुधार और उपलब्ध संसाधनों के अधिकाधिक इस्तेमाल के पथ पर चलता है।
इस सेना ने 1965 में भारत पाक संघर्ष में हिस्सा लिया। दुश्मनों से लडकर इसने उन्हें युद्ध क्षेत्र से बाहर भगा दिया, पाकिस्तानी घुसपैठियों और सैनिक बलों को समाप्त करने के लिए तलाशी अभियान को अंजाम दिया और प्रमुख प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान की। 1971 के युद्ध में इसकी दो पलटनों ने श्रीनगर और पुंछ क्षेत्र में घुसपैठियों के ठिकानों के अनेक क्षेत्रों की पहचान/पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के विशेष कार्य को अंजाम दिया, इस अभियान के लिए इनकी काफी सराहना हुई।

1978 में राष्ट्रीय आदेशों ने बलों की भूमिका को पुनः परिभाषित किया जिससे इसके मूल स्वभाव में परिवर्तन किया गया। एक बहुआयामी बल बनाने के लिए इसे विविध कार्य सौंपे गए। अपने दायित्व क्षेत्र में आईटीबीपी आईबी को संरक्षण प्रदान करती है। आईबी के साथ मिलकर यह सीमा पार से होने वाले अपराध और गुप्त सूचनाओं के संकलन, तस्करों और घुसपैठियों से पूछताछ और अन्तरराष्ट्रीय सीमा, एलएसी पर संयुक्त रूप से गश्त भी करती है। संवेदनशील क्षेत्रों में आईटीबीपीएफ सेना के साथ मिलकर काम करती है। शान्ति काल में यह अपने आप को पेशेवर तौर पर और अधिक तैयार और निपुण बनाती है ताकि समय आने पर वास्तविक चुनौतियों से निपटा जा सके।

2003 में मन्त्री समूह की संस्तुति यानि ‘एक सीमा एक बल’ को अंजाम देने के लिए आईटीबीपी को असम और अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन के पूर्वी क्षेत्र का उत्तरदायित्व सौंपा गया था और फलस्वरुप पूर्वोत्तर में युगान्तरकारी रूप से आईटीबीपी प्रविष्ट हुई। दुर्गम सड़क सम्पर्क के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमा की रखवाली पश्चिम और मध्य क्षेत्र की रखवाली से कहीं अधिक कठिन है। सीमा की रखवाली के अतिरिक्त यह बल पूर्वोत्तर राज्यों में आन्तरिक सुरक्षा कर्तव्यों का भी निर्वहन करती है। ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आईटीबीपी की ऊँची चौकिया अन्य बलों से कहीं आगे हैं। आईटीबीपी के जवानों को हिम-तूफानों, हिम-स्खलनों और भू-स्खलनों का लगातार सामना करना पड़ता है।

1982 तक इस सेना की गतिविधियाँ हिमालय तक ही सीमित थीं, लेकिन समय के बदलाव के साथ, इस बल के कर्मियों को अन्य चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। 1982 में आयोजित एशियाड के दौरान आईटीबीपीएफ के जवानों ने बेहद नाज़ुक और साथ ही जोखिम भरे सुरक्षा कर्तव्यों का प्रदर्शन किया। जहां इसके जवानों को विभिन्न स्टेडियमों, अलग-अलग देशों के दल, खेल गाँव परिसर और विभिन्न अति विशिष्ट व्यक्तियों की चाक-चौबन्द सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था।

कठिन कार्य के लिए जवानों का प्रशिक्षण
प्रारम्भिक चरणों में इस बल को सौंपे गए कार्य के कारण इसकी भूमिका वन्य और हिमालय के प्राकृतिक क्षेत्रों तक ही सीमित थी। जवानों को दिए जाने वाले उपयुक्त प्रशिक्षण के कारण सीमा पार से होने वाली विरोधी गतिविधियों से निपटना इतना दुष्कर नहीं था लेकिन ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में स्वयं के अस्तित्व को बनाए रखना सबसे अधिक चुनौतिपूर्ण है। इसी कारण हिमालय के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती से पहले बल के जवानों को पहाड़ो की चढ़ाई, पर्वतारोहरण और पर्वत पर युद्ध के तरीकों से सम्बन्धित प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें अच्छा सिपाही बनाने के लिए गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास कराया जाता है।

आईटीबीपीएफ करता है नागरिक कार्यक्रम भी
सीमा के लोगों को सुरक्षा की भावना प्रदान करने और वहाँ के लोगों का दिल और दिमाग जीतने के लिए आईटीबीपी के जवान दूरस्थ सीमा क्षेत्रों में सड़कों और पुलों के निर्माण, मरम्मत के साथ ही प्राकृतिक आपदा के समय उनकी मदद, चिकित्सा और पशु चिकित्सा के लिए शिविरों का आयोजन करते हैं। एक उदार बल के रूप में आईटीबीपी स्थानीय सीमा जनता के साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखता है।

भारत-चीन सीमा पर दूरस्थ और दुर्गम गांवो के विकास और वहाँ आवश्यक विकासात्मक गतिविधियों तथा बुनियादी चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए आईटीबीपी ने एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है। श्रमदान और स्थानीय अधिकारियों की सहायता से आईटीबीपी विभिन्न क्षेत्रों जैसे सार्वजनिक स्वच्छता और सफाई, प्रौढ़ और बच्चो की शिक्षा, आवधिक चिकित्सा शिविरों के संचालन, पेयजल, विद्युतिकरण और बुनियादी तन्त्र के निर्माण के लिए सक्रिय है।

आईटीबीपी ने लद्दाख में बहुत से ग्रामीण टेलिफोन एक्सचेंजों को खोला है और इसकी बहुत से ऊंचाई वाली चौकी उपग्रह टेलीफोन से जुडी है। आईटीबीपी के जवान और स्थानीय लोग नाममात्र की दर पर इस सुविधा का प्रयोग कर सकते हैं। लेह में पिछले वर्ष हुए भू-स्खलन और बादल फटने के दौरान आईटीबीपी के जवान प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य में सबसे पहले आगे आए थे। इन्होंने राहत शिविरों की स्थापना की और संकंट में घिरे लोगों को राहत देने के लिए चिकित्सा शिविर भी लगाया। आईटीबीपी के इन कार्यों के लिए बल को स्थानीय लोगों की सराहना प्राप्त हुई।

अन्तरराष्ट्रीय पर्वतारोहण में की है अपनी मिसाल कायम
आईटीबीपी के जवानों ने विभिन्न खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अन्तरराष्ट्रीय पर्वतारोहण में इसने अपनी मिसाल स्थापित की है। ऐवरेस्ट (5 बार) और कंचनजंगा की चोटियों सहित इस बल ने 165 से भी अधिक विश्वस्तरीय चोटियों पर तिरंगा लहराया है। भारत का सर्वोच्च शिखर नन्दा देवी, हिमालय में माउण्ट कामेत और ईरान और अमेरिका की पर्वत चोटियाँ भी इस सूची में शामिल है। इस बल के लिए वह बेहद गर्व का क्षण था जब 10 और 12 मई 1992 को एक महिला पुलिस अधिकारी समेत आठ पर्वतारोहिओं ने माउण्ट एवरेस्ट के ऊपर चढ़ाई कर इतिहास बनाया।

स्कीइंग इसकी विशिष्टता है। वर्षों से इस खेल में राष्ट्रीय चैम्पियन रहे आईटीबीपी ने 1981 में कामेत की चोटी से नीचे की ओर सर्वप्रथम स्कीइंग दर्ज की। पूर्व में आईटीबीपी के स्की खिलाडियों ने मई 1997 में त्रूशूर (23360 फीट) और अप्रैल 1978 में केदार की चोटी (24410 फीट) से नीचे की ओर स्कीइंग की। स्कीइंग में राष्ट्रीय चैम्पियन आईटीबीपी ने कई बार अपने इस खिताब को बचाया है और शीतकालीन ओलम्पिक खेलों ओर एशियाई शीतकालीन खेलों में दो बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
रिवर राफ्टिंग एक अन्य क्षेत्र है जहाँ आईटीबीपी के जवानों ने अपनी विशिष्ट पहचान अंकित की है। 1991 में अरुणाचल प्रदेश के जैलिंग से बांग्लादेश की सीमा तक ब्रह्मपुत्र नदी की धाराओं में इसने 1100 कि.मी. लम्बा सफर तय किया। पिछले 200 वर्षों में कोई अन्य इस उपलब्धि को हासिल करने का साहस नहीं कर पाया है। इसके जवानों को अण्टार्कटिका के वैज्ञानिक अभियान का हिस्सा बनने की दुर्लभ विशिष्टता भी प्राप्त है। हर वर्ष आईटीबीपी अण्टार्कटिका के वैज्ञानिक अभियान के हर सदस्य को प्रशिक्षण देता हैं।

Share:

आज पटना पहुंचेंगे लालू यादव, स्वागत के लिए लगाया इतना बड़ा लालटेन

Sun Oct 24 , 2021
पटना। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (RJD supremo Lalu Yadav) करीब साढ़े तीन साल बाद आज पटना पहुंच रहे हैं। उनके पटना आगमन को लेकर पार्टी कार्यालय में कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। उनके आगमन से पहले पार्टी कार्यालय की चमक बढ़ गयी है। राबड़ी आवास (Rabri Awas) की भी चहल पहल बढ़ गयी […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved