– डॉ. वेदप्रताप वैदिक
संयुक्त राष्ट्रसंघ में पाकिस्तान कोई मौका नहीं छोड़ता है। वह हर मौके पर कश्मीर का सवाल उठाए बिना नहीं रहता। चाहे महासभा हो, चाहे सुरक्षा परिषद या मानव अधिकार परिषद! पिछले दिनों संयुक्तराष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने अत्यंत आपत्तिजनक बात कह डाली और कल पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद में भारत पर हमला बोल दिया। उसने कश्मीर का मसला उठाते हुए वहां हुए आंतरिक परिवर्तनों का विरोध किया। धारा 370 और 35 ए के खत्म होने से कश्मीरियों का अन्य भारतीयों जैसी जीवन-शैली बन जाएगी, इस पर पाकिस्तान ने कोई ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने यह नहीं बताया कि कश्मीर के आंतरिक परिवर्तनों से पाकिस्तान का क्या नुकसान हुआ?
पाकिस्तान के लिए तो भारतीय कश्मीर पहले भी एक सपना था और अब भी एक सपना है। लेकिन बार-बार कश्मीर का रोना रोते देखकर कई विदेशी भी प्रभावित हो जाते हैं। संयुक्तराष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने कुछ दिन पहले कह दिया कि कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में परिवर्तन करने का भारत को कोई अधिकार नहीं है। उसने कोई पूछे कि क्या संयुक्तराष्ट्र संघ का चार्टर उन्हें यह अधिकार देता है कि वे किसी सदस्य देश के आंतरिक मामलों में अपनी टांग अड़ाएं? क्या कभी उन्होंने पाकिस्तान से भी कहा है कि 1948 में उसने जो आधे कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है, उसे वह खत्म करे और उसे वह भारत को लौटाए?
पाकिस्तान बार-बार कश्मीर के सवाल को संयुक्तराष्ट्र संघ में उठाता है। पहले अमेरिका भी उसका समर्थन करता था लेकिन अब तो चीन भी उसके समर्थन में खुलकर नहीं बोलता है। अब तुर्की और मलेशिया के अलावा कोई इस्लामी देश पाकिस्तान को भाव नहीं देता है। कश्मीर का सवाल बार-बार उठाकर पाकिस्तान दुनिया भर के देशों को मौका देता है कि वे आतंकवाद के लिए उसकी निंदा करें। कश्मीर की माला जपने से उसे फायदा होने की बजाय नुकसान ज्यादा होता है। सारी दुनिया में उसे आतंकवाद का गढ़ समझा जाता है।
पाकिस्तान के नेताओं को पता है कि दुनिया का कोई भी संगठन या राष्ट्र कश्मीर की समस्या हल नहीं करवा सकता है। पाकिस्तान को यह भी पता है कि वह हजार साल भी रोता-चिल्लाता रहे तो भी कश्मीर पर उसका कब्जा नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान का भला इसी में है कि वह कश्मीर पर भारत से सीधी बात शुरू करे। यह मामला दोनों कश्मीरों का है। सभी कश्मीरी अपने आप को आजाद महसूस करें, यह जरूरी है। पाकिस्तान ने क्या अपने कश्मीरियों को सचमुच आजाद रहने दिया है? भारत और पाकिस्तान बैठकर दोनों कश्मीरों के बारे में कोई बीच का रास्ता निकालें यह जरूरी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने स्तंभकार हैं।)
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