नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच जब से लद्दाख सीमा पर तनाव शुरू हुआ है, तभी से ही चीनी सेना ने पैंगोंग झील के इलाके पर नज़र बनाई हुई है। चीनी सेना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ग्राउंड फोर्स (PLAGF) हाइस्पीड पेट्रोलिंग क्राफ्ट के जरिए पानी पर नज़र गढ़ाए हुए है, जिनमें Type 305, Type 928D बोट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन ताज़ा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन अब पैंगोंग त्सो की गहराई को जानने में भी लगा है। अब इसके लिए चीन की ओर से दुनिया की ताज़ा तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए काम में लाई जाती है। चीन ने फिंगर 4 से फिंगर 8 के बीच में 13 बोट तैनात की हैं। फिंगर 4 से ढाई किमी. की दूरी पर फिंगर 5 के पास करीब आठ नई बोट की संख्या को बढ़ाया गया था, लेकिन अब जो ताजा स्थिति सामने आई है वो ऐसा ट्रेंड बताती हैं जो अब से पहले नहीं देखा गया।
चीनी सेना PLA की एयरफोर्स अब पैंगोंग त्सो में अंडरवाटर एक्टिविटी पर नज़र बनाए हुए है। इसके लिए स्पेशल तरीके के एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें मैग्नेटिक अनॉमेली डिटेक्टर (MAD boom) लगा है। इनमें Y-8 GX6 और Shanxi Y-8 transporter’s Gaoxin-6 या High New 6 variant जैसे एयरक्राफ्ट शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल चीनी नेवी के द्वारा एंटी सरफेस के साथ पनडुब्बी युद्ध के लिए किया जाता है।
इनमें लगे यंत्र आसानी से पानी के अंदर छुपी पनडुब्बियों का पता लगा सकते हैं, लेकिन इससे इतर ये पानी में मौजूद खनिज और मिट्टी की पहचान करने में भी माहिर हैं। अब ऐसे ही एयरक्राफ्ट सैटेलाइट इमेज में होतान, कोरला और वुडून में दिखे हैं। वुडून एयरपोर्ट से सामने आई नई सैटेलाइट इमेज दिखाती हैं कि 24 अगस्त को वहां पर एक Y-8 GX6 तैनात था। इस एयरक्राफ्ट में पुराने वर्जन के मुकाबले छोटे MAD boom लगे हैं। विमान की जैसी स्थिति है, उससे ज्ञात होता है कि ये अभी ट्रायल में ही है। वहीं, ऐसे ही करीब चार और एयरक्राफ्ट शियान-यानलियांग एयरबेस पर तैनात किए हुए हैं।
डोकलाम के विवाद के बाद से ही चीन ने भारत-तिब्बत बॉर्डर पर अपनी वायुसेना की गतिविधि को बढ़ा दिया है। पिछले तीन साल में ये सर्विलांस सिस्टम बढ़ाया गया है। चीन लगातार यूएवी के जरिए भारतीयों पर नज़र रख रहा है, जो उसने लहासा, हूतान, वुडून, अकेसू जैसे इलाकों में तैनात किए हैं।
चीन ने हाल ही में विंगलूंग 2 यूएवी को टेस्ट किया, जो कि मौसम और कम्युनिकेशन के लेवल पर काम करता है। इसकी सबसे पहले टेस्टिंग उक्सतल एयरबेस पर की गई थी, ताकि भारत के खिलाफ इस्तेमाल की जा सके। चीन भारतीय नेवी के P8I सर्विलांस एयरक्राफ्ट पर भी नज़र बनाए हुए है और इसके जरिए अंडरवाटर गतिविधि देख रहा है। ऐसे में भारत को चीन की हर चाल पर अभी भी नज़र बनाए रखनी होगी।
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