कोरोना कब आया कब गया…पता नहीं चला…पर बच्चों में जानलेवा बिमारियां
इन्दौर। कोरोना की तीसरी लहर का कहर बच्चों पर टूटेगा… यह लहर कब आएगी… कैसे आएगी… कितनी खतरनाक होगी और कैसे इसका उपचार करेंगे… इस बारे में अभी देश तो क्या पूरी दुनिया खामोश है… कई वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे तो कई वैक्सीन ढूंढने और बनाने में जुटे हैं… एक के बाद दूसरी लहर की भयावहता देख चुके देशवासी अब तीसरी लहर झेलने और अपने मासूम बच्चों के शिकार बनने की कल्पना से ही कांप रहे हैं… पर देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश के इन्दौर शहर में कुछ ऐसे संकेत मिले हैं जो कोरोना की इस तीसरी लहर के लक्षणों का संकेत दे रहे हैं… प्रदेश के सबसे बड़े अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में ऐसे 12 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें कोरोना के लक्षण थे ही नहीं, पर जब इनका एंटीबॉडी टेस्ट कराया तो पता चला कि इन्हें कोरोना आकर गया और पता ही नहीं चला, लेकिन बिना सिस्टम यानी बगैर लक्षण के आए इस कोरोना ने जाते-जाते मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेन्ट्री सिन्ड्रोम के ऐसे रोग बच्चों में दे दिए कि उनकी जान खतरे में पड़ गई… इन 12 बच्चों में से 4 बच्चे समय पर अस्पताल में भर्ती नहीं हुए और उन्हें बचाया नहीं जा सका… यह कोरोना की तीसरी लहर का संकेत है या प्रतिरूप माना जा सकता है, जिसके शिकार यह बच्चे हुए हैं।
इन्दौर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के संचालक डॉ. विनोद भंडारी ने बताया कि अस्पताल के पीडियाट्रिक सेक्शन यानी बाल चिकित्सा विभाग में कोरोना का इलाज करते बच्चों के बीच कुछ ऐसे बच्चे आए, जिनमें या तो कोरोना के लक्षण नहीं थे या फिर उनके माता-पिता लक्षणों को नहीं समझ पाए। अस्पताल के डॉक्टरों ने जब इन बच्चों की जांच की तो उन्हें एमआरएससी यानी मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेन्ट्री सिन्ड्रोम के लक्षण नजर आए। इस सिन्ड्रोम का शिकार हुए बच्चों में लगातार बुखार देखा गया और कोरोना के माइल्ड सिम्टम यानी सिरदर्द, हलकी सर्दी-खांसी जैसे लक्षण नजर आए। इसके बाद इन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उनमें से कुछ बच्चों की कोविड टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन इन बच्चों के एंटीबॉडी टेस्ट कराए गए तो इनमें एंटीबॉडी पाई गई, यह बच्चे इतनी गंभीर बीमारी के शिकार हो गए कि उनका इलाज जीवनरक्षक दवाइयों से करना पड़ा और ऐसे ही कारणों के साथ भर्ती हुए 12 बच्चों में से 4 बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
अप्रैल से मई के बीच आया सिन्ड्रोम, एक साल से लेकर 17 साल की उम्र के बच्चे हुए शिकार
यह सिन्ड्रोम अप्रैल से मई के बीच आया। अप्रैल माह में कोरोना का शिकार हुए कुछ बच्चों में यह लक्षण पाए गए तो अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार हुए बच्चे अरबिंदो मेडिकल कालेज के बाल चिकित्सा विभाग में भर्ती हुए। जब इन बच्चों का परीक्षण किया गया तो इनमें कोरोना के बाद हुई बीमारियों के जानलेवा लक्षण पाए गए। इन बच्चों की उम्र 1 साल से लेकर 17 साल तक थी। कुछ बच्चों ने तो अपनी तकलीफ पालकों को बताई, लेकिन इनमें 1 साल का मासूम बच्चा भी शामिल था, जो अपनी तकलीफ नहीं बता पाया।
बच्चों के रोग को पहचानें और तत्काल अस्पताल लाएं…
अरबिंदो हास्पिटल के बाल चिकित्सा विभाग की एचओडी डॉक्टर गुंजन केला ने कहा कि इन बच्चों में ऐसे लक्षण नजर आने पर उन्हें तुरंत अस्पताल में लाएं। जिन बच्चों का इलाज किया जा रहा है उनमें डायरिया के साथ ही खून की प्लेटलेट कम होने और गंभीर होने की स्थिति में पहुंचने का खतरा तो बना ही रहता है। साथ ही जिन बच्चों का उपचार किया गया उनमें से कुछ बच्चे माइल्ड हार्टअटैक का शिकार हुए। इन्हें तत्काल चिकित्सा मिलने पर ही बचाया जा सकता है।
रोग के लक्षण
– आंखें लाल होना,
– शरीर पर दाने उभरना
– जुबान लाल होना
– धडक़नें तेज हो जाना
– बच्चों का सुस्त होना
– सांसों का तेज चलना
– बच्चों को सांस लेने में तकलीफ महसूस होना
– ऐसे बच्चे हार्ट अटैक का भी शिकार हो रहे हैं और उनकी धडक़नें घट-बढ़ रही है।
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