नई दिल्ली। भारत (India) में टैक्स सिस्टम (Tax system) अन्य देशों की तुलना में बिल्कुल अलग है. किसी चीज को खरीदने से लेकर इनकम (Income) तक पर टैक्स (Tax) देना होता है. हालांकि वस्तुओं की खरीदारी पर अलग-अलग तरह के टैक्स चार्जेज (Tax charges) लगाए जाते हैं. इसी में एक लग्जरी टैक्स (Luxury Tax) है, जो लग्जरी चीजों की खरीदारी (Shopping Luxury Items) या लग्जरी सर्विस के उपयोग पर लगाई जाती है।
लग्जरी टैक्स का पेमेंट आपको अलग से नहीं करना होता है, बल्कि लग्जरी प्रोडक्ट्स या सर्विस में शामिल होता है. आइए जानते हैं भारत में इस टैक्स की शुरुआत कब और क्यों हुई और यह किन-किन चीजों पर लगाया जाता है? हालांकि उससे पहले बात कर लेते हैं लग्जरी टैक्स होता क्या है।
क्या होता है लग्जरी टैक्स?
Luxury टैक्स एक इंडायरेक्ट टैक्स होता है, जो खासकर होटल, स्पा और रिसॉर्ट में दी जाने वाली सेवाओं पर लगाया जाता है. यह टैक्स होटल और अन्य जगहों पर दिए जाने वाले फूड, ड्रिंक पर लागू नहीं होता है. इसे और आसान भाषा में कहें तो अगर आप किसी लग्जरी सुविधा जैसे होटल, स्पा और अन्य आवास का यूज कर रहे हैं तो आपको लग्जरी टैक्स देना होगा।
लग्जरी टैक्स एक्ट के अनुसार, ‘लग्जरी’ का मतलब ऐसी सर्विस या प्रोडक्ट से है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में आराम, आनंद या खुशी लाने के लिए दी जाती है. चाहे वह व्यक्ति उस चीज को पसंद ना करे, लेकिन लग्जरी टैक्स एक्ट और राज्य लग्जरी टैक्स रेट के अनुसार, उसे संबंधित टैक्स का भुगतान करना होगा।
उदाहरण- मान लीजिए आप राजस्थान घूमने के लिए गए और आप किसी होटल या रिसॉर्ट में रुकना चाहते हैं, तो वहां होटल के कमरे के किराये पर लग्जरी टैक्स लगेगा. 500 से 1000 रुपये तक के किराये पर 10% सालाना लग्जरी टैक्स लगता है. अगर कमरे का किराया 1000 रुपये प्रतिदिन से ज्यादा है, तो लग्जरी टैक्स 12.5% सालाना हो जाता है।
कितना लगता है लग्जरी टैक्स?
1 जुलाई 2017 से लग्जरी टैक्स को वस्तु एवं सेवा कर ( GST) में शामिल कर दिया गया था और लग्जरी चीजों को जीएसटी के उच्चतम टैक्स स्लैब 28% में डाल दिया गया था. लेकिन अलग-अलग राज्यों में लग्जरी टैक्स अलग-अलग लागू होता है, जो जीएसटी के तहत ही आता है. हालांकि इस टैक्स का कलेक्शन राज्य के वाणिज्य विभाग या आबकारी विभाग द्वारा की जाती है।
जीएसटी व्यवस्था के तहत जीएसटी परिषद ने होटल और रेस्तरां के लिए उनके टर्नओवर के आधार पर और एयर कंडीशनिंग या गैर-एयर कंडीशनिंग के मानदंडों पर विचार करते हुए अलग-अलग टैक्स स्लैब पेश किया है. इसका मतलब यह है कि अब उपभोक्ताओं को जिस तरह के रेस्टोरेंट में जाना है, उसके हिसाब से उन्हें कम या ज्यादा भुगतान करना होगा।
दिल्ली में लग्जरी टैक्स की दरें 5% या 10% हो सकती हैं, जो कमरे के कियारे पर निर्भर करती हैं. जो 750 रुपये से लेकर उससे ज्यादा तक होती हैं. हेल्थ क्लब, स्पा और जिम जैसी सुविधाओं पर सालाना 3% की दर से लग्जरी टैक्स लगाया जाता है. गोवा में 500 रुपये प्रति रात के बराबर या उससे कम किराये वाले कमरों को लग्जरी टैक्स से छूट दी गई है. 500 रुपये से ज्यादा लेकिन 2000 रुपये के भीतर रहने वाले कमरों पर 5% प्रति वर्ष लग्जरी टैक्स लगता है. जब किराया 2000 रुपये से अधिक हो जाता है लेकिन 5000 रुपये से कम होता है तो लग्जरी टैक्स 8% सालाना होता है. 5000 रुपये पर नाइट से अधिक किराये अधिकतम 12% लग्जरी टैक्स लगाया जाता है।
कर्नाटक में 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये पर नाइट के किराये वाले कमरों पर 4% लग्जरी टैक्स, 1000 रुपये से लेकर 2000 रुपये वाले कमरों पर 8% लग्जरी टैक्स और 2000 रुपये प्रति रात से अधिक वाले किसी भी कमरे पर 12% लग्जरी टैक्स लगाया जाता है. राजस्थान में होटलों (हेरिटेज होटलों को छोड़कर), भव्य होटलों पर 10% लग्जरी टैक्स लगाया जाता है. अगर लग्जरी की कीमत 3001 रुपये हर दिन है तो 8% की रेट से यह टैक्स लगता है। तमिलनाडु में 200 से 500 रुपये तक के कमरे के किराये पर 5% लग्जरी टैक्स लगता है. 500 से 1000 रुपये तक के किराये पर 10% लग्जरी टैक्स लगता है. अगर कमरे का किराया 1000 रुपये प्रतिदिन से ज्यादा है, तो लग्जरी टैक्स 12.5% प्रति वर्ष हो लगता है।
क्यों लगता है लग्जरी टैक्स? पूरी हिस्ट्री
भारत में लग्जरी टैक्स की शुरुआत 1996 में हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से रेवेन्यू जुटाने के लिए की गई थी. शुरुआत में इस टैक्स का लक्ष्य अधिक पैसे वाले लोगों को सेवाएं प्रदान करने वाले लग्जरी होटल और रिसॉर्ट थे. लेकिन बाद में इसे सभी तरह के हॉस्पिटैलिटी सर्विस पर लागू किया गया. 2009 में सरकार ने होटल आवास शुल्क पर 12.5% की एक समान टैक्स रेट शुरू की, जिसका उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल बनाना था. बाद में इसे जीएसटी के तहत शामिल कर लिया गया।
किन-किन चीजों पर लागू होता है लग्जरी टैक्स?
क्लब के सदस्यों को प्रदान की जाने वाली सर्विस जैसे डिपॉजिट मनी, चार्ज, दान या राज्य द्वारा अनिवार्य कोई अन्य शुल्क, होटलों द्वारा अपने कस्टमर्स को दी जाने वाली सर्विसेज, स्पा, ब्यूटी पार्लर, हेल्थ क्लब, स्विमिंग पूल जैसी सेवाएं के लिए लग्जरी टैक्स देना होता है।
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