नई दिल्ली। देश में इस साल स्टार्टअप का हाल बुरा है। इस क्षेत्र से 12,000 लोग बेरोजगार हो गए हैं। हालांकि यह केवल भारत का ही मामला नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में 22,000 लोग बेरोजगार हुए हैं। इसमें से 60 फीसदी से ज्यादा भारत से हैं। दरअसल फंडिंग की कमी और कारोबार में फायदा नहीं होने की वजह से स्टार्टअप के हालात खराब हैं। यही कारण है कि लागत घटाने के लिए कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। ऐसा अनुमान है कि इस साल के अंत तक एडटेक और स्टार्टअप में 60,000 लोगों की नौकरी जा सकती है।
बायजू, अनअकादमी, वेदांतू ज्यादा प्रभावित
सबसे ज्यादा प्रभावित होनेवाली कंपनियों में एडटेक क्षेत्र की हैं। इसमें बायजू, अनअकादमी, वेदांतू, कार्स 24, एमपीएल, लिडो लर्निंग, ट्रेल, फारआई और अन्य हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस साल के अंत तक लागत को घटाने के लिए 50,000 और लोगों को नौकरी से निकाला जा सकता है। यही नहीं, कई सारे यूनिकॉर्न जैसे ओला आदि भी इसी तरह का काम कर रहे हैं।
कोरोना से हुआ था फायदा
हालांकि कोरोना के बाद स्टार्टअप सेक्टर में तेजी से गतिविधियां शुरू हुईं और इसके चलते नए स्टार्टअप की संख्या भी बढ़ गई। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समय इन क्षेत्रों की कंपनियों के लिए पैसा जुटाना बहुत ही मुश्किल काम है। यही कारण है कि वैश्विक स्तर की नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियां भी कर्मचारियों को निकाल रही हैं।
क्रिप्टो में भी मची मारामारी
कोरोना के बाद जिस तरह से क्रिप्टो का बाजार तेजी से भागा, उससे ढेर सारी कंपनियां इस क्षेत्र में आ गईं। पर अब क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में 70 फीसदी से ज्यादा गिरावट ने निवेशकों के साथ-साथ कंपनियों को भी परेशान कर दिया है। इसमें जेमिनी, वाल्ड, बिटपांडा और अन्य ने अपने कर्मचारियों की संख्या घटाने की योजना बनाई है।
पोकेमैनगो बनाने वाली कंपनी भी मुश्किल में
पोकेमैनगो बनाने वाली कंपनी नियांतिक ने भी अपने 8 फीसदी कर्मचारियों को कह दिया है कि वे कंपनी छोड़ दें। इसका मतलब करीबन 90 लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा। एलन मस्क की टेस्ला ने भी 10 फीसदी कर्मचारियों की कटौती की घोषणा की है।
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