नई दिल्ली (New Dehli)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी (objectionable comment)मालदीव के चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू(President Mohammad Moizzu) की भारत विरोधी चुनावी राजनीति (Politics)का नतीजा है। मालदीव में भारत विरोध माहौल बनाकर चुनाव जीते मोइज्जू ने हालांकि सत्ता हासिल होने के बाद कुछ संतुलन बनाने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन यह घटना बताती है कि सब कुछ उनके नियंत्रण में नहीं है। उनके सहयोगी राजनीतिज्ञ उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।
विदेश मामलों के जानकारों की मानें तो मालदीव समेत भारत के अनेक पड़ोसी देशों में यह आम हो गया है कि कभी भारत समर्थक दल या नेता सत्ता में आता है तो कभी चीन समर्थक। मालदीव में पिछली सरकार मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी की थी और राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह भारत समर्थक रहे और अनेक समझौते भारत के साथ किए।
वे अगस्त 2022 में शिखर वार्ता के लिए भारत आए तो भारत ने दस हजार करोड़ डालर की मदद समेत अनेक ऐलान किए। लेकिन पिछले साल हुए चुनावों में मोहम्मद मोइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने सोलिह पर मालदीव को भारत के हाथों बेचने का आरोप लगाते हुए वहां से भारत को हटाने के नारे के साथ चुनाव लड़ा और जीतकर चीन की गोद में जा बैठे। अभी भी वह चीन की यात्रा पर गए हुए हैं।
मालदीव को भारी नुकसान होगा
जेएनयू के विदेश अध्ययन विभाग के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह के अनुसार, यदि पिछले कुछ वर्षों के घटनाक्रम को देखें तो नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार आदि में कभी भारत समर्थक सरकार बनती है तो कभी चीन समर्थक। लेकिन भारत ने सभी देशों में इस मुद्दे को सधी हुई कूटनीति के जरिए इसका सामना किया है। उसने सभी देशों में अपनी उपस्थिति मजबूत रखी है। मालदीव में भी मजबूत है।
आज यदि भारत मालदीव से अपने हाथ खींच ले तो यह मोहम्मद मोइज्जू भी जानते हैं कि उनके देश के विकास के लिए यह भारी नुकसानदायक होगा क्योंकि भारत ने अरबों-खरबों का निवेश किया है।
भारत को देख निवेश कर रहा चीन
चीन भी वहां इसलिए ज्यादा निवेश कर रहा है क्योंकि भारत कर रहा है। इसलिए सत्ता में आने के बाद उन्होंने चीन से तमाम नजदीकियों के बावजूद भारत से भी संतुलन कायम करने की कोशिश की है। यही कारण है कि जब उनके मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी हुई तो तत्काल कार्रवाई की गई।
सिंह के अनुसार जब बड़े नेता संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं तो छोटे नेताओं द्वारा इस प्रकार की अक्सर चूक की जाती है जो स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह संबंधों को प्रभावित करती है। मालदीव के उप मंत्रियों का पीएम के अपने देश के भीतर दौरे पर टिप्पणी करना किसी भी रूप में जायज नहीं था बल्कि यह सिर्फ चीन को खुश करने की होड़ भर हो सकती है।
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