नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) भारत की पश्चिमी सीमा के पास अपने स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर्स का पहला स्क्वॉड्रन बनाने जा रहा है. वायुसेना लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters) का एक स्क्वॉड्रन जोधपुर एयरबेस पर तैनात करने जा रहा है. इस यूनिट की तैनाती के बाद से बॉर्डर की निगरानी का काम आसान हो जाएगा. घुसपैठ रुकेगी. आतंकी गतिविधियों पर विराम लगाना आसान हो जाएगा.
भारतीय सेना (Indian Army) ने 1 जून 2022 को बेंगलुरु में लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर का पहला स्क्वॉड्रन बना चुकी है. ये स्क्वॉड्रन ईस्टर्न कमांड के तहत चला जाएगा. इसे अगले साल तक और बढ़ाया जाएगा. ताकि लाइन ऑप एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास चीन की हरकतों पर विराम लगाने में मदद मिल सके. सेना का प्लान है कि वो अभी 95 LCH और खरीदेगी. इनकी सात यूनिट्स बनाई जाएंगी. जिनमें से सात पहाड़ी इलाकों पर तैनात की जाएंगी.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters – LCH) को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. अब तक 9 हेलिकॉप्टर बने हैं. 15 बनाने का ऑर्डर है. इसमें दो लोग बैठ सकते हैं. यह 51.10 फीट लंबा, 15.5 फीट ऊंचा है. पूरे साजो सामान के साथ इसका वजन 5800 किलोग्राम हता है. इसपर 700 किलोग्राम के हथियार लगाए जा सकते हैं.
LCH की अधिकतम 268 किमी प्रतिघंटा है. 550 किलोमीटर रेंज हैं. लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भर सकता है. अधिकतम 6500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें 20 मिमी की एक तोप लगी है. चार हार्डप्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम लगाए जा सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters) को ध्रुव हेलिकॉप्टरों से ही विकसित किया गया है. इस हेलिकॉप्टर की जरुरत 1999 में करगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी. तब से इसका विकास चल रहा था. ट्रायल्स के दौरान इसने भारत के हर तरह के इलाकों में उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था. चाहे वह सियाचिन हो या फिर 13 हजार से लेकर 15 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ हों. या फिर रेगिस्तान या जंगल.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (LCH) पर एक 20 मिलिमीटर की M621 कैनन या फिर नेक्स्टर टीएचएल-20 टरेट गन लगाई जा सकती है. चार हार्डप्वाइंट्स में रॉकेट, मिसाइल या बम फिट किए जा सकते हैं. जैसे इसमें 4×12 FZ275 LGR यानी लेज़र गाइडेड रॉकेट तैनात किए जा सकते हैं. ये रॉकेट हवा से सतह और हवा से हवा में मार करने में सक्षम होते हैं.
इसके अलावा लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर पर हवा से हवा में मार करने वाली 4×2 मिस्ट्रल मिसाइल लगाई जा सकती है. या फिर 4×4 ध्रुवास्त्र एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भी लगाई जा सकती है. इन मिसाइलों के अलावा इस हेलिकॉप्टर पर क्लस्टर म्यूनिशन, अनगाइडेड बम और ग्रैनेड लॉन्चर लगाकर भी दुश्मन के छक्के छुड़ाए जा सकते हैं.
इस हेलिकॉप्टर में लगे अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम से दुश्मन न तो छिप सकता है, न ही इसपर हमला कर सकता है. क्योंकि ये सिस्टम इस हेलिकॉप्टर को मिसाइल का टारगेट बनते ही सूचना दे देते हैं. इसके अलावा राडार एंड लेजर वॉर्निंग सिस्टम लगा है. साथ ही शैफ और फ्लेयर डिस्पेंसर भी हैं, ताकि दुश्मन के मिसाइल और रॉकेटों को हवा में ध्वस्त किया जा सके.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स भारतीय सेना का पहला हमलावर हेलिकॉप्टर है. उससे पहले 75 रुद्र हेलिकॉप्टरों को इस काम में लाया जाता था. लेकिन ये एलसीएच की तरह ताकतवर तेज और घातक नहीं हैं.
एलसीएच हेलिकॉप्टरों की यूनिट जोधपुर में इसलिए तैयार की जा रही है ताकि पुराने Mi-35 और Mi-25 हेलिकॉप्टरों को हटाया जा सके. ये दोनों ही हेलिकॉप्टर रूस ने बनाए थे. इनका उपयोग वायु सेना बहुत पहले से करती आ रही है. इनके एक स्क्वॉड्रन तो खत्म कर दिया गया है. उनकी जगह क्योंकि इनकी जगह पर बोईंग कंपनी का एएच-64ई (AH-64E) अपाचे हेलिकॉप्टर तैनात किए गए है.
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