नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद पैदा हुई स्थितियों को लेकर भारत राजधानी दिल्ली(India Capital Delhi) में ईरान(Iran), रूस (Russia)समेत पांच मध्य एशियाई देशों (five central asian countries) के साथ अहम बैठक कर रहा है. मध्य एशियाई देशों में ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान (Tajikistan, Kyrgyzstan, Kazakhstan, Uzbekistan and Turkmenistan) जैसे देश शामिल हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की ये बैठक(National Security Advisor level meeting) 10 नवंबर को होगी. इस तरह की दो बैठक इससे पहले 2018, 2019 में ईरान में हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक भारत में तीसरी बैठक होने में देर की वजह कोरोना महामारी रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक का एजेंडा सीमापार आतंकवाद, आतंकी समूहों की उपस्थिति और अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ता अतिवाद होगा. मध्य अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के सामने बड़ी सुरक्षा चुनौतियां हैं. बैठक में अफगानिस्तान में स्थिरता और समावेशी सरकार के मुद्दे पर गहन चर्चा होगी.
कौन लोग करेंगे बैठक
भारतीय एनएसए अजित डोभाल बैठक में शामिल हो रहे देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ गंभीर चर्चा करेंगे. इस बैठक में चीन और पाकिस्तान को भी बुलाया गया था.
भारत का तालिबान पर स्टैंड
अब तक तालिबान को किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. लेकिन भारत समेत कई देश तालिबान के साथ विभिन्न स्तर पर वार्ता कर रहे हैं. भारत ने कई बार तालिबान को यह साफ कर दिया है कि उसे अफगानिस्तान को आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देना है. खुद तालिबान भी यह बात कहता आया है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश में आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होने देगा.
संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया था कि अफगानिस्तान में भारत मानवीय त्रासदी के लिए मदद को पूरी समर्पित है. भारत ने वैश्विक समुदाय से भी इसके लिए अपील की थी.
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