नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah)ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party ) और पूरी संसद दृढ़ता (full parliament determination)से इस बात मानते हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (pakistan occupied kashmir) भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि वहां रहने वाले मुस्लिम और हिंदू दोनों ही भारतीय हैं।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, ”पीओके में रहने वाले मुस्लिम और हिंदू भाई भारतीय हैं। जिस जमीन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है, वह भारत की है। इसे वापस पाना हर भारतीय और हर कश्मीरी का लक्ष्य है।”
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से पाकिस्तान की साजिशों से दूर रहने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आज पाकिस्तान भूख और गरीबी की मार से घिरा हुआ है। वहां के लोग भी कश्मीर को स्वर्ग के रूप में देखते हैं। मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अगर कोई कश्मीर को बचा सकता है, तो वह प्रधानमंत्री मोदी हैं।”
AFSPA वासप लेने पर भी विचार
अमित शाह ने मंगलवार को यह भी कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा)को वापस लेने पर विचार करेगी। शाह ने यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।’’ विवादास्पद अफस्पा पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हम अफस्पा हटाने के बारे में भी सोचेंगे।’’
क्या है अफस्पा?
अफस्पा अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों के कर्मियों को ‘‘लोक व्यवस्था कायम’’ रखने के लिए आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने अफस्पा हटाने की मांग की है।
कश्मीर में कब होंगे चुनाव?
शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा।’’
शाह ने दावा किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरक्षण के इन प्रावधानों को लेकर कटुता पैदा करने की पूरी कोशिश की लेकिन लोग अब उनके इरादों को समझ गए हैं। उन्होंने पूछा कि नेकां ने पिछले 75 वर्षों में इन लोगों को आरक्षण क्यों नहीं दिया।
गृह मंत्री ने दावा किया कि जब आतंकवाद चरम पर था तो अब्दुल्ला इंग्लैंड चले गए थे। उन्होंने कहा, अब्दुल्ला और महबूबा दोनों को इस मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। शाह ने यह भी कहा कि बातचीत की प्रक्रिया में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का कोई स्थान नहीं है।
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