नई दिल्ली (New Dehli) । विपक्षी गठबंधन (opposition alliance)‘INDIA’ में सीटों के बंटवारे (sharing)को लेकर सक्रियता (activism)बढ़ गई है। इससे छह राज्यों में लोकसभा (Lok Sabha)की 196 सीटों पर असर (Impact)पड़ सकता है। इन राज्यों में अभी 113 सीटें इस गठबंधन के पास हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि गठबंधन अच्छी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरे तो वह इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। हालांकि दो राज्यों उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गठबंधन के प्रभाव को लेकर राजनीतिक जानकार आश्वस्त नहीं हैं। इन दो राज्यों में ‘INDIA’ के पास 87 में से महज छह सीटें हैं। यदि बसपा भी इसमें जुड़ती है तो भी उसकी मौजूदा ताकत महज 16 सीटों की बनती है।
‘INDIA’ गठबंधन के दलों की प्रभावी उपस्थिति महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पंजाब में है। पिछले चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने सबसे अच्छा प्रदर्शन तमिलनाडु में किया था और द्रमुक के नेतृत्व में 39 में से 38 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी। यह प्रदर्शन फिर से दोहराना उसके लिए आसान नहीं होगा लेकिन इसके बावजूद विपक्ष वहां अगले आम चुनावों में भी मजबूती से उभर सकता है। इसकी वजह प्रमुख विपक्षी दल अन्नाद्रमुक का अपेक्षित रूप से जमीन पर मजबूत नहीं होना है।
बिहार से सबसे ज्यादा उम्मीदें
‘INDIA’ गठबंधन के सबसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बिहार में है क्योंकि इस बार राजद, कांग्रेस, वाम दलों के अलावा जदयू भी इसका हिस्सा है। पिछली बार जदयू राजग के साथ था। जदयू ने तब 16 और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। बाकी कोई विपक्षी दल सीट नहीं जीत पाया था। झारखंड में भी पिछली बार झामुमो 14 में से दो सीट ही जीत पाया था। ‘INDIA’ के लिए वहां भी अपनी ताकत बढ़ाने के मौके हैं। इस समय वहां गठबंधन की सरकार भी है।
पश्चिम बंगाल में कड़ी टक्कर के आसार
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 22 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। शेष 18 सीटें तब भाजपा ने जीती थी। यहां ‘INDIA’ और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर के आसार हैं तथा कांग्रेस और तृणमूल, वामदल यदि मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो उनका प्रदर्शन पहले से बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है।
महाराष्ट्र में माहौल बदला
महाराष्ट्र के आम चुनाव के नतीजे सबसे ज्यादा रोचक हो सकते हैं। पिछली बार 48 में से शिवसेना ने 18, राकांपा ने चार तथा कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। शिवसेना ने तब भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब स्थितियां बदल चुकी हैं। शिवसेना और राकांपा टूट चुकी हैं। उद्धव और पवार विपक्षी खेमे में हैं और देखना यह है कि इन दलों का परंपरागत मतदाता उनके साथ टिका रहता है या बागियों के साथ बंट जाता है।
पंजाब में गठबंधन पर टिकीं उम्मीदें
पंजाब में 13 में से आठ सीटें सीटें कांग्रेस तथा एक आम आदमी पार्टी के पास हैं। कांग्रेस और आप में गठबंधन होने से उनकी स्थिति बेहतर हो सकती है हालांकि यह भी देखना होगा कि क्या भाजपा और अकाली दल मिलकर लड़ते हैं या अलग-अलग राह पकड़ते हैं।
उत्तर प्रदेश और दिल्ली में राह आसान नहीं
गठबंधन उत्तर प्रदेश में भी होना तय है लेकिन बसपा को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। पिछली बार बसपा ने 10, सपा ने पांच तथा कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। प्रदेश में भाजपा की मजबूती और राम मंदिर की स्थापना के प्रभाव से विपक्ष के लिए अच्छी संभावनाएं कम हैं। इसी तरह दिल्ली में भी कांग्रेस-आप गठबंधन के बावजूद टक्कर कड़ी होगी और ‘INDIA’ की राह आसान नहीं होगी।
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