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    भारत के पहले मंगलयान मिशन का हुआ अंत, 8 साल 8 दिन के बाद टूटा संपर्क, ईंधन-बैटरी सब खत्‍म

  • October 03, 2022

    नई दिल्ली। मंगलयान (Mangalyaan) का अंत हो चुका है. उसकी सांसें थम चुकी हैं. उसमें मौजूद ईंधन और बैटरी भी खत्म हो चुकी है. इसी के साथ मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission- MOM) का आठ साल आठ दिन का सफर खत्म हो गया. इस मिशन को पांच नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था. यह 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचा था. इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था, जो एक ही बार में सीधे मंगल ग्रह (Mars) तक पहुंचा था.



    मंगलयान मिशन की लागत 450 करोड़ रुपये थी. इतने में तब हॉलीवुड की फिल्में बनती थीं. ISRO ने समाचार एजेंसी को बताया कि अब मंगलयान में ईंधन नहीं बचा है. पूरी तरह से खत्म हो चुका है. स्पेसक्राफ्ट की बैटरी (spacecraft battery) भी पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. हमारा मंगलयान से लिंक भी टूट चुका है. हालांकि इस बारे में देश की स्पेस एजेंसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल (Twitter handle) से कोई जानकारी शेयर नहीं की है.

    ISRO के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हाल ही में लगातार मंगल ग्रह पर ग्रहण लग रहे थे. सबसे लंबा ग्रहण साढ़े सात घंटे थे. यहां पर ग्रहण का मतलब ये नहीं था कि स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह के पीछे चला गया था. इसका मतलब होता है कि मंगलयान की बैटरी ग्रहण के दौरान यानी बिना सूरज की रोशनी के एक घंटे और 40 मिनट तक ही चल सकता था. इसके बाद यह किसी काम का नहीं रहा.

    अपनी तय उम्र से 16 गुना ज्यादा चला मंगलयान
    इसरो अधिकारियों ने बताया कि मंगलयान अपनी तय उम्र से 16 गुना ज्यादा चला. उसने ऐसी तस्वीरें दी. ऐसे डेटा दिए जिससे हमारी और दुनिया की समझ मंगल ग्रह के बारे में बदल गई. भारतीय वैज्ञानिकों ने सिर्फ यह देखने के लिए मंगलयान छोड़ा था कि वो टेक्नोलॉजी(technology) का प्रदर्शन कर सकें. लेकिन हमारे मंगलयान ने इतना बेहतरीन काम किया जो किसी भी देश के स्पेसक्राफ्ट ने आजतक नहीं किया था.

    इन पांच पेलोड्स ने दिखाया पूरी दुनिया को कमाल
    मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) में सिर्फ पांच पेलोड्स थे. जिनका वजन मात्र 15 किलोग्राम था. इनका काम था मंगल ग्रह की भौगोलिक, बाहरी परतों, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान आदि की जांच करना था. इसमें जो पांच पेलोड्स थे- उनका नाम था मार्स कलर कैमरा (Mars Color Camera), थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (Thermal Infrared Imaging Spectrometer), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (Methane Sensor for Mars), मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (Mars Exospheric Neutral Composition Analyser) और लीमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP).

    क्यों खास था ISRO का मंगलयान मिशन?
    मंगलयान मिशन किफायती थी. कम समय में बनाया गया. वजन और मिशन के अनुसार बहुत ही कम कीमत में हुआ था तैयार. पांच अलग-अलग पेलोड्स को एकसाथ असेंबल करके एक साथ मंगल तक पहुंचाना. मंगलयान के मार्स कलर कैमरे से ली गईं तस्वीरों में से 1000 से ज्यादा फोटो से मार्स एटलस बनाया गया.

    फिर लॉन्च किया जा सकता है ‘मंगलयान-2’
    ऐसा कहा जा रहा है कि इसरो मंगलयान-2 को लेकर सोच रहा है लेकिन इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. फिलहाल इसरो का फोकस मानव मिशन गगनयान (Gaganyaan) पर है. साल 2016 में इसरो के अधिकारी एनाउंसमेंट ऑफ ऑपर्च्यूनिटी (AO) लेकर आए थे कि वो दूसरे मंगल मिशन की घोषणा कर सकते हैं. लेकिन आगे इस पर कोई बात नहीं हुई. इसके बाद इसरो गगनयान, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) और आदित्य एल-1 (Aditya- L1) मिशन लेकर सामने आ गया. एनाउंसमेंट ऑफ ऑपर्च्यूनिटी के मुताबिक भविष्य में मंगलयान-2 मिशन के लिए योजना बनाई जाएगी. लेकिन फिलहाल इस समय इस पर कोई बात नहीं हो रही है.

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