कोलंबो। श्रीलंका (Sri Lanka) में विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S. Jaishankar) ने वहां के तमिल नेताओं से मुलाकात की और सामुदायिक पुनर्वास कार्यक्रम (rights and rehabilitation of Tamils) पर चर्चा की। इस दौरान प्रांतीय परिषद, उसके अधिकारों और विकास कार्यों पर खासतौर पर चर्चा की गई। श्रीलंका के जाफना इलाके में भारतीय मूल के तमिलों की खासी आबादी है। कुछ वर्ष पूर्व यह इलाका अलगाववाद की चपेट में था। तब श्रीलंका की सेना ने कार्रवाई कर हालात काबू किए थे। इस दौरान सेना पर नरसंहार करने और मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन के आरोप लगे थे।
इस बैठक का महत्व इसलिए ज्यादा बढ़ गया क्योंकि श्रीलंका की सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के सहयोगियों ने प्रांतीय परिषदों की व्यवस्था खत्म करने के लिए अभियान चला रखा है। देश में नौ प्रांतीय परिषदों का गठन 1987 में किया गया था। बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, थिरु संपंथन के नेतृत्व वाले तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर खुश हुआ। उनसे विकास कार्यो और अधिकारों के हस्तांतरण में प्रांतीय परिषद की भूमिका पर खासतौर से चर्चा हुई।
टीएनए श्रीलंका की सबसे बड़ी तमिल पार्टी है। जयशंकर ने तमिल प्रोग्रेसिव एलायंस के प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की। जयशंकर पांच से सात जनवरी तक की तीन दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका में थे। उन्होंने यह दौरा अपने श्रीलंकाई समकक्ष दिनेश गुणवर्द्धना के आमंत्रण पर किया। यात्रा में जयशंकर ने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व को प्राथमिकता के आधार पर भारत से कोविड वैक्सीन की आपूर्ति का भी आश्वासन दिया।
चेन्नई में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने श्रीलंका में शीर्ष नेतृत्व से तमिलों के हितों पर चर्चा करने के विदेश मंत्री जयशंकर के कदम का स्वागत किया है। राज्यपाल ने कहा, विदेश मंत्री के इस कदम से केंद्र सरकार की तमिलों के प्रति चिंता और हमदर्दी का पता चलता है। कहा, जयशंकर ने श्रीलंका सरकार से बातचीत में वहां के संविधान के 13 वें संशोधन का मसला भी उठाया। इस संशोधन में तमिलों के विषय में भारत की भूमिका का जिक्र है। इस लिहाज से जयशंकर का कोलंबो में तमिलों के अधिकारों के लिए दिया गया बयान भी काफी महत्वपूर्ण है।
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