नई दिल्ली: ग्लोबल बैंकिंग की सुनामी अमेरिका से बाहर निकलकर यूरोप और अब दूसरे देशों की ओर बढ़ रही है. इसका असर ग्लोबल लेवल पर तमाम कंपनियों पर दिखाई दे सकता है. जिसकी भविष्यवाणी लगातार की जा रही है. ऐसा ही एक अनुमान भारत के लिए भी किया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि इस बैंकिंग क्राइसिस की सुनामी में भारत को 20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा यानी 245 अरब डॉलर के कारोबार का नुकसान हो सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत पर कैसे इसका असर देखने को मिल सकता है.
20 लाख करोड़ रुपये के कारोबार पर असर
अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग क्राइसिस में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक बंद हो चुके हैं. वहीं स्विस बैंक क्रेडिट सुइस अपना अस्तित्व बचाने के प्रयास में जुटा है. दोनों देशों की सरकारें तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. अब इसका असर भारत में भी देखने को मिल सकता है. एक रिपोर्ट अनुसार भारत का 245 अरब डॉलर यानी 20 लाख करोड़ रुपये का आईटी बजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट इंडस्ट्री का फ्यूचर अधर में दिखाई दे रहा है. जानकारों की मानें तो इस इसेक्टर का 41 फीसदी रेवेन्यू बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज एंड इंश्योरेंस से आता है. ऐसे में ग्लोबल बैंकिंग जाएंट्स के धराशाई होने से इस सेक्टर की इनकम इंपैक्ट हो सकती है. जिसकी वजह से बैंक अपने टेक बजट के साथ फ्यूचर डील्स पर फुलस्टॉप लगा सकते हैं.
किन कंपनियों को हो सकता है नुकसान?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बैंकिंग क्राइसिस में सबसे ज्यादा असर देश की बड़ी आईटी कंपनियों टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एलटीआईमाइंडट्री पर देखने को मिल सकता है. क्योंकि इन तमाम कंपनिचों का अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर कंपनियों के साथ बिजनेस काफी ज्यादा है. एचएफएस रिसर्च के फाउंडर के अनुसार अमेरिका के लोकल बैंकों की सेहत काफी खराब है. जिसकी वजह से उन कंपनियों पेट में गड़बढ़ ज्यादा है, जो उन्हें आईटी सर्विस दे रही हैं. जिसमें टीसीएस और इन्फोसिस के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं. उनका कहना है कि पूरे आईटी सेक्टर में कोहराम मचा हुआ है. वैसे देश की आईटी दिग्गज कंपनियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिल सका है.
भारतीय आईटी कंपनियों को हुआ है फायदा
फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म Celent के आंकड़ों के अनुसार, नॉर्थ अमेरिकी बैंक ग्लोबल लेवल पर रिटेल बैंकिंग सेक्टर में टेक में इंवेस्टमेंट सबसे ज्यादा है. साल 2022 में अमेरिकी बैंकों का टेक बजट 82 अरब डॉलर था, जबकि ग्लोबल लेवल पर यह बजट 250 अरब डॉलर का था. बीएफएसआई द्वारा टेक में खर्च से भारतीय आईटी कंपनियों को काफी फायदा हुआ है. आईटी कंसल्टेंसी और रिसर्च फर्म एवरेस्ट ग्रुप के फाउंडर पीटर बेंडर-सैमुअल ने कहा कि टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और एलटीआईएमइंडट्री जैसी कंपनियों का नॉर्थ अमेरिकी लोकल बैंकों में उनके बैंकिंग वर्टिकल के माध्यम से एक्सपोजर है. शॉर्ट टर्म में, इस क्राइसिस की वजह से बीएफएसआई की ग्रोथ पर नेगेटिव इंपैक्ट देखने को मिल सकता है.
किसकी कितनी होती है कमाई
नैस्कॉम की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में आईटी सेक्टर का 41 फीसदी रेवेन्यू BFSI से आया है. जिसमें नॉर्थ अमेरिका कंपनियों के रेवेन्यू का योगदान 50 फीसदी से ज्यादा है. विप्रो को बीएफएसआई से सबसे ज्यादा 35 फीसदी रेवेन्यू मिलता है. इसके बाद टीसीएस 31.5 फीसदी, इंफोसिस 29.3 फीसदी और एचसीएलटेक 20 फीसदी टेक महिंद्रा को 16 फीसदी रेवेन्यू मिलता है. अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) और सिग्नेचर बैंक को डूबते हुए देखा है. ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम में उथल-पुथल को रोकने के लिए सरकार ने यूबीएस को क्रेडिट सुइस खरीदने के लिए बोला है.
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