नई दिल्ली । कोरोना (Corona) इस महासंकट के बीच हर देश अपने सभी नागरिकों को कोविड-19 का टीका (Vaccine) लगाना चाहता है. अमीर देश यह काम आसानी से कर सकते है परंतु गरीब देशों के लिए कोरोना टीका का कम कीमत में मिलना मुश्किल है. ऐसे में सभी की देशों को आशा की किरण भारत से मिली है. दूसरी ओर पड़ौसी चीन (China) है, जिनकी वैक्सीन (Vaccine) आज सबसे महंगी वैक्सीन साबित हुई है.
कई देशों ने वैक्सीन (Vaccine) बनाई है, जिसमें भारत भी शामिल है. सभी देशों की कोशिश है कि उनके हर नागरिक तक कोरोना वैक्सीन की पहुंच हो, ताकि इस महामारी को फैलने से रोका जा सके. लेकिन कुछ कंपनियों की वैक्सीन इतनी महंगी (Expensive Vaccine) है कि हर किसी तक यह आसानी से नहीं पहुंच पाएगी. कीमत के लिहाज से कोरोना वैक्सीन को देखें तो इसमें भारत सबसे सफल रहा है. भारत की वैक्सीन दुनिया में सबसे सस्ती है, जबकि चीन की वैक्सीन दुनिया में सबसे ज्यादा महंगी है. यही नहीं, भारत ने सबसे कम वक्त में कोरोना की वैक्सीन तैयार की है. जबकि चीन जैसे देशों को पूरा वक्त मिला है.
जिस तरह से चीन हर प्रोडक्ट्स को कम कीमत में उतारकर मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है. वैसा कोरोना वैक्सीन के मामले में नहीं होने वाला है. क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा महंगी चीन की वैक्सीन है. अगर भारत से चीन की वैक्सीन की तुलना करें तो करीब 9 गुना ज्यादा महंगी चाइनीज वैक्सीन (Chinese Vaccine) है. भारतीय वैक्सीन कोविशिल्ड (Covidshield) और कोवैक्सीन (Covaxin) की कीमत कुल 250 रुपये प्रति डोज रखी गई है, जिनमें 150 रुपये वैक्सीन की कीमत और 100 रुपये सर्विस चार्ज है. इस कीमत पर भारत में प्राइवेट अस्पतालों में लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
बतादें कि फिलहाल दुनिया के 9 देशों को कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफलता मिली है, लेकिन कीमत के मामले में सबसे सस्ती भारत की वैक्सीन है. जबकि चीन की वैक्सीन सबसे महंगी है, चीन की वैक्सीन (CoronaVac) की एक डोज की कीमत 2200 रुपये है. इसे चाइनीज कंपनी साइनोवैक ने बनाया है. अमेरिकी वैक्सीन (BNT-162) की प्रति डोज भारतीय मुद्रा के हिसाब से कीमत 1400 रुपये से अधिक है. इसे अमेरिकी कंपनी फाइजर ने तैयार किया है. जबकि यूरोपीयन यूनियन द्वारा बनाई गई वैक्सीन (mRNA- 1273) की प्रति डोज कीमत 1300 रुपये है.
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