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कनाडा में भूख हड़ताल पर भारतीय छात्र, जानें क्या है कारण


ओटावा: कनाडा (Canada) के पूर्वी तट पर स्थित प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI) में पूर्व और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय छात्र (students) बड़े पैमाने पर प्रदर्शन (pradarshan) कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों में सबसे बड़ी संख्या उनकी है जो भारत (India) से हैं। विरोध की वजह प्रिंस एडवर्ड आइलैंड प्रशासन द्वारा हाल ही में प्रांतीय नामांकित कार्यक्रम (PNP) में बदलाव है। प्रिंस एडवर्ड आइलैंड की सरकार ने 2024 में पीएनपी के माध्यम से स्थायी निवास के लिए नामांकित व्यक्तियों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी करने की घोषणा की है। कनाडा में स्थायी निवास का रास्ता पीएनपी से ही खुलता है। छात्र 9 मई से इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। अब छात्रों ने 28 मई से भूख हड़ताल (hunger strike) शुरू कर दी है।


अप्रवासन नीति में क्या बदलाव हुआ?
प्रिंस एडवर्ड आइलैंड ने 2024 में पीएनपी से नामांकन में 25 प्रतिशत की कमी का ऐलान किया है। प्रांतीय सरकार ने इसके लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और घरों पर दबाव को वजह बताया है। फरवरी में घोषित नए नियम स्वास्थ्य सेवा और निर्माण जैसे विशिष्ट व्यवसायों में काम करने वाले अप्रवासियों को प्राथमिकता देते हैं, जबकि खुदरा, खाद्य और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में जुड़े लोगों की कटौती का प्रावधान है। इस नीति ने उन पूर्व छात्रों को चिंतित कर दिया है, जिनके वर्क परमिट जल्द ही खत्म होने वाले हैं। इससे इन छात्रों पर डिपोर्टेशन का खतरा मंडराने लगा है।

मॉन्ट्रियल यूथ स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन के सदस्य मनप्रीत कौर ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हम पीईआई में खुदरा और सेवा उद्योगों में काम करने वाले 300 से अधिक स्नातकों के बारे में जानते हैं, जिनके वर्क परमिट अगले 1-2 महीने में समाप्त हो जाएंगे। कई भारतीय स्नातक यहां रहना चाहते हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इसके बजाय, नियमों को रातों-रात बदल दिया गया।’

क्या हैं छात्रों की मांगें?
छात्रों की तीन प्रमुख मांगों में पहली है कि जो छात्र नीति परिवर्तन से पहले कनाडा में थे और उनके पास वैध वर्क परमिट है, तो उन्हें पिछली व्यवस्था के तहत रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रदर्शनकारियों की दूसरी मांग पॉइंट सिस्टम के बिना निष्पक्ष पीएनपी ड्रॉ की है, जिसमें बिक्री, सेवाओं और ट्रकिंग जैसे क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया है। वर्तमान में पाइंट सिस्टम में 65 अंकों की आवश्यकता होती हैस जिसे 25 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए हासिल करना लगभग असंभव माना जाता है। इसके साथ ही छात्रों की मांग कार्य परमिट को विस्तार देने की है। छात्रों का कहना है कि अगर मई के अंत तक नियम नहीं बदले गए तो वे लंबी भूख हड़ताल की योजना बना रहे हैं।

कनाडाई सरकार का क्या है कहना?
नीतिगत बदलावों ने पीईआई में नियोक्ताओं के बीच भी चिंता बढ़ा दी है। चैंबर ऑफ कॉमर्स की वार्षिक बैठक के दौरान नियोक्ताओं ने संभावित असर को लेकर प्रिंस एडवर्ड आइलैंड के प्रीमियर डेनिस किंग से सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘हम नियमित आधार पर इसकी निगरानी कर रहे हैं। अगर हमें जरूरत हुई तो हम कुछ बदलाव करेंगे।’ प्रदर्शनकारियों ने प्रांतीय विधान सभा के सदस्यों को क्षेत्रीय नियोक्ताओं के 40 से अधिक पत्र सौंपे हैं, जिसमें सरकार से पीईआई में पहले से ही काम कर रहे व्यक्तियों को नए नियमों से बाहर करने के लिए कहा गया है। प्रदर्शनकारियों को लिबरल, ग्रीन और विपक्षी राजनेताओं से भी समर्थन मिला है, जिन्होंने फैसले को ‘क्रूर और गलत’ बताया है।

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