नई दिल्ली। चीन से चल रहे गतिरोध के कारण मुंबई की कंपनी का एक व्यापारिक जहाज जून से चीन के उत्तरी बंदरगाह ‘जिंगटैंक’ पर अटका हुआ है। यह जहाज ऑस्ट्रेलिया से कोयला लादकर भारत के लिए चला था। जहाज पर फंसे चालक दल के 23 सदस्य कई बीमारियों से पीड़ित हो गए हैं। चालक दल के पारिवारिक सदस्यों ने चीन में फंसे व्यापारिक जहाज के क्रू सदस्यों को राहत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी पत्र लिखा है। इस भारतीय जहाज के आसपास चीन के जहाज पहरेदारी कर रहे हैं।
मुंबई स्थित ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड के व्यापारी जहाज ‘जग आनंद’ पर जनवरी में 23 भारतीय चालक दल सवार हुए। यह लोग मई में लगभग 1.70 लाख टन कोयला लादकर ऑस्ट्रेलिया से चले और 13 जून को चीन के जिंगटैंक बंदरगाह पर पहुंचे। इस बीच चीन से पूर्वी लद्दाख में भारत का गतिरोध काफी बढ़ चुका था। जब चीनी बंदरगाह पर भारतीय जहाज पहुंचा और उस पर ऑस्ट्रेलिया का कोयला लदा होने की जानकारी मिली तो चीन को भारत और ऑस्ट्रेलिया से एक साथ हिसाब चुकता करने का यह मौका अच्छा लगा। दरअसल चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में तभी से खटास पड़ चुकी है, जब कोरोना वायरस के मामले में ऑस्ट्रेलिया की एक टीम जांच करने के लिए बीजिंग गई थी।
जग आनंद जहाज के चालक दल के सदस्यों का कहना है कि ‘यह जहाज मुंबई स्थित ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड का है, जिसे एक निजी संस्था ने किराए पर लिया था। हम जनवरी में जहाज पर सवार हुए और पांच महीने से चीनी बंदरगाह पर अटके हैं। हम 15 महीने से नौकरी पर हैं और अपने परिवारों को नहीं देखा है। हम 23 भारतीय चालक दल के सदस्य हैं और बहुत ही अप्रिय स्थिति में रहते हैं। चालक दल के कई सदस्य समुद्र के किनारे खड़े जहाज पर छह माह से सवार रहने के कारण बीमार हो गए हैं जिनका इलाज भी नहीं हो पा रहा। हम अपने वतन लौटना चाहते हैं। चीनी बंदरगाह प्रशासन हमें अपने माल को यहां उतारने की अनुमति नहीं दे रहा है और वे कोई कारण भी नहीं बता रहे हैं।’
चालक दल का कहना है कि उन्होंने अपनी कंपनी को इस स्थिति के बारे में जानकारी दी है। वे राजनयिक चैनलों के माध्यम से संपर्क कर समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच चालक दल के सदस्यों ने अपनी कंपनी के सामने जापान से बात करके एक वैकल्पिक बचाव योजना खोजने का प्रस्ताव रखा है। अगर चीन कार्गो को उतारने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं है तो वे जहाज को निकटतम जापानी बंदरगाह पर भेजने और चालक दल के सदस्य को बदलने के लिए तैयार हैं। मुंबई स्थित ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस मामले से शिपिंग मंत्रालय के महानिदेशक (डीजी) को अवगत कराया गया है। कंपनी ने इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष भी उठाया है।
इस बीच चालक दल के पारिवारिक सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर तत्काल राहत की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि चीन के साथ राजनयिक संबंधों के विच्छेद के कारण ऑस्ट्रेलियाई पोत 13 जून से लंगर पर है। सीमा शुल्क अधिकारियों ने संबंधित कार्गो को मंजूरी नहीं दी है। कंपनी द्वारा राजनयिक संसाधनों के माध्यम से विभिन्न प्रयासों के बावजूद चालक दल के सदस्यों को कोई राहत नहीं मिली है। चीनी सरकार ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले पर आयात नियमों और विनियमन को बदल दिया है। (हि.स.)