नई दिल्ली। भारतीय रुपया (Indian Rupee) आज शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले 7 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.05 पर आ गया है। सोमवार को रुपया 79.97 पर बंद हुआ था। अमेरिकी डॉलर इस साल अब तक भारतीय रुपये के मुकाबले 7.5% ऊपर है। डॉलर इंडेक्स सोमवार को एक सप्ताह के निचले स्तर (lower level) पर फिसलकर 107.338 पर पहुंच गया। पिछले हफ्ते डॉलर इंडेक्स बढ़कर 109.2 हो गया था, जो सितंबर 2022 के बाद सबसे ज्यादा है।
दरअसल डॉलर कभी इतना महंगा नहीं था , इसे बाज़ार की भाषा में कहा जा रहा हैं कि रुपया रिकॉर्ड लो पर यानी अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। मुद्रा का दाम हर रोजाना घटता बढ़ता रहता है। डॉलर की जरूरत बढ़ती चली गई। इसकी तुलना में बाक़ी दुनिया में हमारे सामान या सर्विस की मांग नहीं बढ़ी, इसी कारण डॉलर महंगा होता चला गया।
भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप (mobile-laptop) समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है। अधिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है। मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा।
रसोई के बजट पर असर
भारत 80 फीसद कच्चा तेल (crude oil) आयात करता है। कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ेगी। इससे माल ढुलाई महंगी हो जाती है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने से रसोई से लेकर घर में उपयोग होने वाले रोजमर्रा के सामान के दाम बढ़ सकते हैं जिससे आपकी जेब हल्की होगी। साथ ही पेट्रोल-डीजल महंगा होने से किराया भी बढ़ सकता है जिससे कहीं आना-जाना महंगा हो सकता है।
खाद्य तेल महंगा होने की आशंका
भारत खाद्य तेल का 60 फीसदी आयात करता है। इसकी खरीद डॉलर में होती है। ऐसे में यदि रुपया कमजोर होता है तो खाद्य तेलों के दाम घरेलू बाजार में बढ़ सकते हैं। हाल के दिनों में सरकार ने खाद्य तेलों को सस्ता करने के लिए इसपर आयात शुल्क खत्म कर दिया है।
रोजगार के अवसर घटेंगे
भारतीय कंपनियां विदेश से सस्ती दरों पर भारी मात्रा में कर्ज जुटाती हैं। रुपया कमजोर होता है तो भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से कर्ज जुटाना महंगा हो जाता है। इससे उनकी लागत बढ़ जाती है जिससे वह कारोबार के विस्तार की योजनाओं को टाल देती हैं। इससे देश में रोजगार के अवसर घट जाते हैं।
विदेश यात्रा, शिक्षा महंगी हो जाएगी
विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को रहने खाने से लेकर फीस तक सब डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने से उन छात्रों को पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। उनके परिहन की लागत भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा विदेश यात्रा भी महंगा हो जाएगा।
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