नई दिल्ली । भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने में (In promoting Tourism in India) भारतीय रेल (Indian Railway) की भूमिका बहुत अहम है (Plays very important Role) । 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर पूरी दुनिया में पर्यटन के महत्व पर चर्चा की जाती है और प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के बारे में लोगों को जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
गौरतलब है कि पर्यटक सुविधाजनक, आरामदायक, किफायती और सुरक्षित परिवहन विकल्प चाहते हैं और ट्रेन से यात्रा करना उनकी इन आवश्यकताओं को पूरा करता है। भारतीय रेल द्वारा देशवासियों को भारत की समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृति और धार्मिक विरासत तक पहुंचना सुगम बनाया जाता है। इतना ही नहीं रेलवे द्वारा देश में कई हेरिटेज ट्रेनें भी संचालित की जाती हैं। इसके अलावा, यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों से लेकर इन ट्रेनों के माध्यम से दर्शनीय स्थलों तक यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
पूरे देश में भारतीय रेल का विशाल नेटवर्क है और रेलवे के कई संग्रहालय देश भर में फैले इस व्यापक नेटवर्क के इतिहास और विरासत को दर्शाते हैं। रेलवे को चलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पुराने इंजनों से लेकर, ऐतिहासिक फोटो गैलरी तक, रेलवे संग्रहालय आपको रेलवे के पुराने दौर से रूबरू कराते हैं। रेल संग्रहालयों जाकर में पर्यटकों को पता चलता है कि ट्रेन के संचालन के पीछे क्या तकनीक है और कितनी मेहनत है। दिल्ली का नेशनल रेल म्यूजियम राजधानी आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद होती है और हर कोई यहां जाकर रेलवे की समृद्ध विरासत को देखना चाहता है।
इसी प्रकार से पश्चिम बंगाल के घूम रेलवे स्टेशन पर बना संग्रहालय, कुर्सेओंग रेलवे स्टेशन पर बना डीएचआर आर्काइव संग्रहालय और सुकना रेलवे स्टेशन की फोटो गैलरी में क्षेत्र की सभी दुर्लभ ऐतिहासिक कलाकृतियों और फोटोग्राफ को संजोया गया है। देश के अन्य राज्यों में भी रेल संग्रहालय हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। भारतीय रेल के कई रेल मार्गों को यूनेस्को द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। इन रेल मार्गों पर यात्रा करना पर्यटकों के लिए यादगार अनुभव होता है और उन्हें प्राकृतिक सुंदरता व देश की सांस्कृतिक समृद्धि के दर्शन कराता है। यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त इन हेरिटेज स्थलों की सूची में भारतीय रेल के दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और नीलगिरि माउंटेन रेलवे शामिल हैं। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को द्वारा 1999 में मान्यता दी गई थी, जबकि नीलगिरि माउंटेन रेलवे को 2005 में मान्यता दी गई थी।
नीलगिरि माउंटेन रेलवे द्वारा चलाई जानी वाली टॉय ट्रेन धीरे-धीरे पहाड़ियों पर चढ़ती है और सुरंगों, मनमोहक जंगलों से होकर गुजरती है। इससे आप आसपास की खूबसूरती का लुत्फ उठा सकते हैं। इस यात्रा में आप हरे-भरे परिदृश्यों और कुन्नूर जैसे आकर्षक हिल स्टेशनों के माध्यम से एक सुरम्य यात्रा का आनंद ले सकते हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में कालका-शिमला रेलवे भी शामिल है। इसे वर्ष 2008 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटज सूची में शामिल किया गया था। इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों के जरिए आप हिमाचल की खूबसूरत वादियों और पहाड़ियों का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां चलने वाली ट्रेनें खड़ी चढ़ाई को पार करती हैं और रास्ते में लगभग 800 छोटे-बड़े पुलों से होकर गुजरती हैं। इसके अलावा, देश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में संचालित होने वाली तमाम दूसरी ट्रेनें भी हैं, जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करती हैं।
पातालपानी-कालाकुंड हेरिटेज ट्रेन, माथेरान लाइट रेलवे और कांगड़ा वैली हेरिटेज ट्रेन इनमें शामिल हैं। ट्रेन में यात्रा करते समय, कोई भी पर्यटक गोवा और महाराष्ट्र के रास्ते में पड़ने वाले दूधसागर जलप्रपात, थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट के सुंदर दृश्यों को देखना नहीं भूलता है। इसी प्रकार से मुंबई में स्थित भारतीय रेल के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की इमारत को वर्ष 2004 में यूनेस्कों की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। 19वीं सदी में बनी यह इमारत प्राचीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। मुंबई घूमने जाएं, तो आप इस खूबसूरत बिल्डिंग को अपनी सूची में शामिल जरूर करें।
विश्व पर्यटन दिवस का यह विशेष अवसर भारतीय रेल की समृद्ध गौरवशाली विरासत और इसकी खास पर्यटक ट्रेनों के बारे में जानने का भी अवसर है। भारतीय रेल न केवल देश के अलग-अलग हिस्सों में खूबसूरत पर्यटक स्थलों तक लोगों को यात्रा करना का प्रमुख साधन है, बल्कि अपनी ट्रेनों को माध्यम से प्रकृति के मनमोहन नजारों को भी पर्यटकों के नजदीक लाती है। तो देर किस बात की है, हो जाइए तैयार, भारतीय रेल आपकी यात्रा को यादगार बनाने के लिए आपकी सेवा में तत्पर है।
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