नई दिल्ली: फेसबुक की मूल कंपनी META और ट्विटर ने हाल ही में बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों की छंटनी की है. नौकरी गंवाने वालों में भारतीय नागरिक भी हैं, जिनके पास एच-1बी वीजा है. ऐसे में अमेरिका में इन कंपनियों में काम करने वाले H1B वीजा कर्मचारियों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इसी वीजा के आधार पर वे अमेरिका में काम रहे थे. जिन विदेशी कर्मचारियों की नौकरी चली गई है अब उनके पास केवल दो महीने यानी 60 दिन हैं. इस अवधि के अंदर उन्हें या तो दूसरी नौकरी ढूंढनी होगी, या फिर वापस अपने देश जाना होगा.
अमेरिका में H1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है जो विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनियों के लिए तीन से छह साल तक काम करने की अनुमति देता है. इस वीजा के आधार पर विदेशी नागरिक अमेरिकी कंपनियों में काम कर सकते हैं. H-1B वीजा नियमों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपनी नौकरी खो देता है या कंपनी छोड़ देता है, तो उसे 60 दिनों का मौका मिलता है.
कई कंपनियों में छंटनी
अमेरिका में मंदी के डर से कई टेक कंपनियों ने हायरिंग बंद कर दी है. वहीं कई बड़ी कंपनियां बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं. इसी में फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों के भी नाम हैं. नौकरी गंवाने वालों के सामने अमेरिका में गुजारा करने का खतरा पैदा हो गया है.
मेटा ने एच-1बी वीजा पर कंपनी में काम कर रहे विदेशी नागरिकों समेत 11,000 कर्मचारियों की छंटनी की है. मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने ऐसे कर्मचारियों को इमिग्रेशन में मदद करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि आप यहां वीजा पर आए हैं, इसलिए यह आपके लिए बहुत मुश्किल है. आपके और आपके परिवार की सहायता के लिए हमारे पास इमिग्रेंट विशेषज्ञ हैं.
भारतीय कर्मचारियों पर संकट
ट्विटर जैसी कंपनी में अच्छे पोस्ट पर काम कर चुके लोगों को भी निकाला गया है. ट्विटर और मेटा से निकाले गए कई भारतीयों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपना दर्द साझा किया है. साथ ही नौकरी खोजने में मदद मांगी है. फेसबुक के 15 फीसदी कर्मचारी एच-1बी वीजा धारक हैं. हालांकि, मेटा और ट्विटर में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों के पास उनके टर्मिनेशन लेटर मिलने के बाद एच-1बी वीजा प्रायोजित करने वाले नए नियोक्ता को खोजने के लिए 60 दिनों तक का समय होगा.
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