नई दिल्ली । भारतीय नौसेना की दक्षिणी नौसेना कमान (एसएनसी) ने गुरुवार को डोर्नियर एयरक्राफ्ट पर तीन महिला पायलटों के अपने पहले बैच का परिचालन किया है। तीनों महिला पायलट डॉर्नियर ऑपरेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग (डीओएफटी) कोर्स का हिस्सा थीं, जिन्होंने पूरी तरह से ऑपरेशनल मैरीटाइम रिकॉइसेंस (एमआर) पायलट के रूप में स्नातक किया है।
नौसेना के महिला पायलेट्स के पहले बैच में नई दिल्ली के मालवीय नगर से लेफ्टिनेंट दिव्या शर्मा, तिलहर, उत्तर प्रदेश से लेफ्टिनेंट शुभांगी स्वरूप और मुजफ्फरपुर, बिहार से लेफ्टिनेंट शिवांगी हैं। तीनों महिला पायलट डॉर्नियर ऑपरेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग (डीओएफटी) कोर्स का हिस्सा थीं, जिन्होंने पूरी तरह से ऑपरेशनल मैरीटाइम रिकॉइसेंस (एमआर) पायलट ’के रूप में स्नातक किया। लेफ्टिनेंट शिवांगी सबसे पहले नौसैनिक पायलट के रूप में क्वालीफाई करने वाली थीं। लेफ्टिनेंट दिव्या शर्मा और लेफ्टिनेंट शिवम पांडे को क्रमश: ‘फ़र्स्ट इन फ़्लाइंग’ और ‘फ़र्स्ट इन ग्राउंड’ विषय चुना गया। आज इन्हें नौसेना की दक्षिणी नौसेना कमान, कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर हुए पासिंग आउट समारोह में सम्मानित किया गया। इस आयोजन में चीफ स्टाफ ऑफिसर (ट्रेनिंग) रियर एडमिरल एंटनी जॉर्ज ने पुरस्कार प्रदान किए।
पायलटों ने भारतीय वायु सेना और आंशिक रूप से डीओएफटी पाठ्यक्रम से पहले नौसेना के साथ बुनियादी उड़ान प्रशिक्षण लिया था। इस पाठ्यक्रम में एसएनसी के डोरियर स्क्वाड्रन, आईएनएएस 550 के एसएनसी के विभिन्न व्यावसायिक स्कूलों में आयोजित एक महीने का जमीनी प्रशिक्षण चरण और उड़ान प्रशिक्षण के आठ महीने शामिल हैं। सबसे अधिक उत्साही प्रशिक्षु के लिए स्वर्गीय लेफ्टिनेंट साइमन जॉर्ज पाइनमूटिल की स्मृति में फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (दक्षिण) ने ‘रोलिंग ट्रॉफी’ लेफ्टिनेंट कुमार विक्रम को दी। लेफ्टिनेंट साइमन जॉर्ज पाइनमूटिल एक योग्य आइलैंडर पायलट थे और उन्होंने 17 मई 1985 को स्क्वाड्रन की सेवा करते हुए एक घातक हवाई दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी थी। उनकी याद में यह ट्रॉफी 18 जून 2019 को डायमंड जुबली समारोह के दौरान स्थापित की गई थी।
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