नई दिल्ली। गाम्बिया में कफ सिरप के इस्तेमाल से 66 बच्चों की मौत के बाद बनी स्टैंडिंग नेशनल कमेटी के वाइस चेयरमैन डॉ. वाईके गुप्ता ने कहा है कि भारत में जनता को अवगत कराया जाना चाहिए कि उक्त दवा का लाइसेंस केवल निर्यात के लिए था। भारत में बिकने वाले कफ सिरप से ऐसी संभावना नहीं है। बता दें कि उक्त दवा का उत्पादन भारत की एक नई फार्मास्यूटिकल्स कंपनी की ओर से किया गया था।
स्टेंडिंग नेशनल कमिटी के वाइस चेयरमैन डॉ. वाईके गुप्ना ने कहा है कि भारत में उत्पादित दवाएं अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। एक केवल घटना के आधार पर भारत में निर्मित दवाओं पर सवाल खड़ा करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में दवाओं के निर्माण से जुड़ी नियामक संस्था मजबूत है और हम ऐसी चीजों के खिलाफ नो टॉललेंस की नीति अपनाते हैं।
गाम्बिया में हुई घटना के बारे में बोलते हुए डॉ. वाईके गुप्ता ने कहा है कि मौत की पहली घटना जुलाई महीने में रिपोर्ट की गई थी, पर WHO की ओर से भारतीय नियामक को इसकी जानकारी 29 सितंबर को दी गई। भारत सरकार को अब तक नुकसान की पूरी जानकारी नहीं मिली है। जांचे गए 23 नमूनों में से 4 में डायथिलीन ग्लाइकॉल-एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। मामले में गुम कड़ियों की हर हाल में जांच होनी चाहिए।
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