नई दिल्ली । टेक अरबपति एलन मस्क(Tech billionaire Elon Musk) के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Social media platform X) ने भारत सरकार(Government of India) के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट(Karnataka High Court) में एक कानूनी याचिका दायर(legal petition filed) की है। कंपनी का दावा है कि सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT एक्ट) की धारा 79(3)(b) का दुरुपयोग करके प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को ब्लॉक कर रही है, जो स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह मामला आज, 20 मार्च 2025 को सुर्खियों में आया, जब X ने सरकार के इस कदम को “असंवैधानिक” और “मनमाना सेंसरशिप” करार दिया। कंपनी का कहना है कि सरकार इस प्रावधान का गलत तरीके से इस्तेमाल कर एक अवैध सेंसरशिप प्रणाली बना रही है, जिससे ऑनलाइन कंटेंट को मनमाने तरीके से ब्लॉक किया जा रहा है।
सरकार पर अवैध रूप से सेंसरशिप लागू करने का आरोप
X का तर्क है कि आईटी एक्ट की धारा 79(3)(b) सरकार को ब्लॉकिंग के अधिकार नहीं देती, लेकिन सरकार इसे धारा 69A के स्थान पर इस्तेमाल कर रही है। जबकि 2015 में सुप्रीम कोर्ट के ‘श्रेय सिंहल केस’ के फैसले में यह साफ किया गया था कि कंटेंट केवल धारा 69A के तहत या कोर्ट के आदेश से ही ब्लॉक किया जा सकता है।
कंपनी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह ‘सहयोग’ नामक पोर्टल के माध्यम से सोशल मीडिया पर कंटेंट ब्लॉक करने का समानांतर और अवैध सिस्टम बना रही है। यह पोर्टल भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) द्वारा संचालित किया जाता है, जहां से विभिन्न सरकारी मंत्रालय और पुलिस विभाग कंटेंट हटाने के आदेश जारी कर सकते हैं।
X का तर्क: ‘सहयोग’ पोर्टल में शामिल होना जरूरी नहीं
X ने अदालत में यह भी दलील दी कि कोई भी कानून कंपनी को ‘सहयोग’ पोर्टल पर शामिल होने के लिए बाध्य नहीं करता। कंपनी का कहना है कि उसने पहले से ही आईटी नियमों के तहत अनिवार्य अधिकारियों की नियुक्ति कर रखी है और ‘सहयोग’ पोर्टल के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत नहीं है।
सरकार ने अभी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की
17 मार्च को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि यदि सरकार X के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है तो कंपनी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा कि अब तक X पर ‘सहयोग’ पोर्टल से जुड़ने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
X ने ‘सेंसरशिप’ के खतरे की चेतावनी दी
X का कहना है कि सरकार द्वारा अपनाया गया यह तरीका भारत में सूचनाओं के व्यापक और अनियंत्रित सेंसरशिप का कारण बन सकता है। कंपनी ने कहा कि आईटी मंत्रालय (MeitY) ने 31 अक्टूबर 2023 को एक आधिकारिक ज्ञापन जारी कर सभी मंत्रालयों, राज्यों और पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया कि वे धारा 79(3)(b) के तहत नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जो कंटेंट हटाने के आदेश जारी कर सकें।
कंपनी के अनुसार, इस प्रणाली के चलते आईटी एक्ट की धारा 69A अप्रभावी हो गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे सख्त प्रक्रियाओं और समीक्षा तंत्र की वजह से वैध माना था। X ने सरकार पर आरोप लगाया कि इस समानांतर व्यवस्था के तहत रेलवे मंत्रालय समेत कई विभागों ने फरवरी 2024 में अवैध रूप से कंटेंट ब्लॉक करने के आदेश जारी किए।
पहले भी सरकार से टकराव
X का भारत सरकार के कंटेंट ब्लॉकिंग नियमों से यह पहला टकराव नहीं है। 2022 में, कंपनी ने धारा 69A के तहत संपूर्ण खातों को ब्लॉक करने के आदेशों को अदालत में चुनौती दी थी। हालांकि, 2023 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया और X पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अब, X ने नई याचिका में कहा है कि सरकार 79(3)(b) का दुरुपयोग कर बिना किसी प्रक्रिया और निगरानी के सेंसरशिप लागू करने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रहा है मामला
इसी मुद्दे से जुड़े एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, जहां X ने ‘सहयोग’ पोर्टल से जुड़ने से इनकार कर दिया है। 18 मार्च को न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने मौखिक रूप से कहा कि X की आपत्तियों को अप्रैल के अंत में विस्तार से सुना जाएगा। X और भारत सरकार के बीच सोशल मीडिया कंटेंट मॉडरेशन और सेंसरशिप को लेकर कानूनी टकराव तेज होता जा रहा है। जहां सरकार का तर्क है कि वह आईटी कानूनों के तहत कार्रवाई कर रही है, वहीं X का कहना है कि यह अवैध और मनमानी सेंसरशिप है।
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