नई दिल्ली। 2000 के दशक में स्थापित दुनिया के स्टार्ट-अप की रैंकिंग ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 के अनुसार, भारतीयों ने किसी भी अन्य देश की तुलना में देश के बाद अधिक यूनिकॉर्न की स्थापना की है। भारतीयों ने भारत के बाहर 109 यूनिकॉर्न की सह-स्थापना की है, जबकि भारत में 67 यूनिकॉर्न हैं।
यूनिकॉर्न मूल रूप से कम से कम एक अरब डॉलर या उससे अधिक के स्टार्टअप हैं और अभी तक सार्वजनिक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं हैं। हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 67 यूनिकॉर्न के साथ विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर रखा गया है। इनमें ऑन-डिमांड डिलीवरी स्टार्ट-अप स्विगी और फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म ड्रीम 11 शीर्ष पर हैं और इनका वैल्यूएशन आठ-आठ अरब अमरीकी डॉलर है। इसके बाद रेजरपे का नंबर आता है जिसकी मार्केट वैल्यू 7.5 अरब अमरीकी डॉलर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारतीय संस्थापकों ने किसी भी अन्य देश की तुलना में देश के बाद अधिक यूनिकॉर्न की स्थापना की। भारत के बाहर 109 यूनिकॉर्न की सह-स्थापना की गई, जबकि भारत में 67 यूनिकॉर्न बने।” इंडेक्स के अनुसार भारत के बाहर स्थापित यूनिकॉर्न में से उल्लेखनीय रूप से 95 अमेरिका में हैं। वहीं, ब्रिटेन में चार, सिंगापुर में तीन और जर्मनी में दो यूनिकॉर्न स्थापित किए गए हैं।
अमेरिका और चीन के बाद यूनिकॉर्न के लिए सबसे सक्रिय शहर लंदन रहा, इसके बाद बेंगलुरु, पेरिस और बर्लिन का नंबर है। रिपोर्ट के अनुसार, टाइगर ग्लोबल, सॉफ्टबैंक और होंगशान के नेतृत्व में दुनिया के सबसे सफल यूनिकॉर्न निवेशकों ने स्टार्टअप और रणनीतिक निवेश के बीच सहजीवी (एक दूसरे पर निर्भर) संबंधों पर प्रकाश डाला।
स्टार्टअप में निवेश पर रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में नए यूनिकॉर्न निवेश में मंदी देखी गई है, खासकर 2021 के सुनहरे दिनों की तुलना में क्योंकि हाल के वर्षों में निवेशकों के लिए निवेश के बाद बाहर निकलना कठिन हो गया है।
अमेरिका, भारत और ब्रिटेन में रिकॉर्ड तोड़ने वाले शेयर बाजारों में पर्याप्त यूनिकॉर्न आईपीओ नहीं आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के यूनिकॉर्न की यह सूची व्यक्तियों को नए क्षेत्रों में मूल्य सृजन करने और देशों और शहरों को उनकी भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए यूनिकॉर्न के महत्व को पहचानने के लिए प्रेरित कर सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हां, कुछ असफल हो जाएंगे, और जब ऐसा होता है तो पर बड़े पैमाने पर मीडिया का ध्यान उस पर जाता है, जैसा कि भारत में ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म बायजू के मामले में मीडिया हाइप दिख रही है। पर इसके बावजूद यूनिकॉर्न को नई अर्थव्यवस्था के लिए स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।”
दुनिया के 53 देशों में यूनिकॉर्न हैं आते हैं, पिछले साल यूनिकॉर्न वाले देशों की संख्या 48 थी। दुनिया के यूनिकॉर्न 291 शहरों में फैले हुए हैं, पिछले वर्ष यह संख्या 271 थी। अमेरिका 703 यूनिकॉर्न के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद चीन का नंबर है जहां 340 यूनिकॉर्न हैं। हुरुन के अनुसार दुनिया भर में 1,453 यूनिकॉर्न हैं, जो एक नया विश्व रिकॉर्ड है और पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 7 प्रतिशत या 92 यूनिकॉर्न की बढ़ोतरी हुई है।
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