अलीगढ़ । संयुक्त राष्ट्र में (In UN) भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि (Former Permanent Representative of India) सैयद अकबरुद्दीन (Saiyed Akbaruddin) ने कहा कि ‘भारतीय विदेश नीति (Indian Foreign Policy) बड़ी सोच (Big Thinking), साहसिक कार्य (Bold Action), जोखिम उठाने (Risk Taking) पर आधारित’ (Based) है।
उन्होंने कहा कि भारत ने एक बदली हुई दुनिया में कूटनीति के अपने पारंपरिक दृष्टिकोण को छोड़ दिया है, जहां चीन विश्व व्यवस्था को फिर से आकार देने के लिए अधिक मुखर हो गया है। सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी ने सर सैयद अकादमी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वार्षिक कार्यक्रम सर सैयद मेमोरियल लेक्चर-2022 को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अकबरुद्दीन ने कहा, “भारत ने कूटनीति के अपने पारंपरिक ²ष्टिकोण को छोड़ दिया है। इसने 2014 के बाद एक अधिक जीवंत, गतिशील, आकांक्षात्मक और जोखिम लेने वाला ²ष्टिकोण अपनाया, और पड़ोसियों सहित विभिन्न देशों के साथ इस तरह से जुड़ गया, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।”
भारत के वैश्विक जुड़ाव के बदलते स्वरूप पर बोलते हुए, उन्होंने अपने लंबे राजनयिक करियर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों-मंचों के अनुभवों से कई उदाहरण उद्धृत किए। उन्होंने कहा, हम देखते हैं कि वैश्विक अशांति हाल के दिनों में कभी नहीं देखी गई। अमेरिका का एकध्रुवीय प्रभुत्व कम हो गया है और चीन ने हरित प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और सौर ऊर्जा आदि के क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका स्थापित की है। दूसरी ओर, सीमा पर संघर्ष और पीओके में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से पता चलता है कि भविष्य में भारत-चीन के मतभेद और बढ़ सकते हैं।”
भारत की विदेश नीति में बदलाव को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र के पूर्व दूत ने जोर देकर कहा: “चुनावी परिणामों का असर होता है, जो हमारी वर्तमान विदेश नीति में परिलक्षित होते हैं। यह अब ‘बड़ा सोचें, साहसिक कार्य करें और जोखिम उठाएं’ पर आधारित है।”
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