नई दिल्ली । भारत और कनाडा (India and Canada) के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया है कि वह वहां भारतीय वाणिज्य दूतावास (Indian Consulate) के कर्मचारियों (Employees) को ऑडियो और वीडियो निगरानी में रखकर उत्पीड़न कर धमकी दे रहा है, जो राजनयिक सम्मेलनों का घोर उल्लंघन है.
मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने इस घटना को लेकर कनाडा सरकार के समक्ष औपचारिक रूप से विरोध जताया है. जायसवाल से उन रिपोर्टों के बारे में पूछा गया था, जिनमें ये दावा किया गया है कि राजनयिक गतिरोध के दौरान कनाडा में कई भारतीय राजनयिक कथित रूप से निगरानी में थे.
जानकारी के मुताबिक जायसवाल ने कहा कि हां, हमारे कुछ वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को हाल ही में कनाडा सरकार द्वारा सूचित किया गया था कि वे ऑडियो और वीडियो निगरानी में हैं. उनके कम्युनिकेशन को भी बाधित किया गया है. हमने कनाडा सरकार के समक्ष औपचारिक रूप से विरोध जताया है, क्योंकि हम ऐसे कामों को राजनयिक और वाणिज्य दूतावास सम्मेलनों का घोर उल्लंघन मानते हैं.
जायसवाल ने कहा कि हमारे राजनयिक और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी पहले से ही उग्रवाद और हिंसा के माहौल में काम कर रहे हैं. कनाडा सरकार की ये हरकत स्थिति को और खराब करती है और स्थापित राजनयिक मानदंडों का उल्लंघन है.
पिछले साल सितंबर में ट्रूडो द्वारा खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की कथित संलिप्तता के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव में आ गया था. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को “बेतुका” बताते हुए खारिज कर दिया. भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा ये है कि कनाडा अपनी धरती से संचालित खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी दंड के जगह दे रहा है. भारत ने कनाडा के आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हुए 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य अधिकारियों को कनाडा से वापस बुला लिया है.
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