नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने कोरोना महामारी (Covid-19) के बाद अच्छी वापसी की है और अभी भी सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी (Fastest Growing Economy) है. वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Recession) जैसी चुनौतियों का भी अच्छे से सामना करने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था तैयार है. हालांकि इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के 5 ट्रिलियन डॉलर वाली इकोनॉमी (5 Trllion Dollar Economy) के सपने को सच बनाने की राह में कई चुनौतियां हैं. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (Former RBI Governor D Subbarao) की मानें तो भारत को अगले 06 साल में 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए 8 बड़ी चुनौतियों से पार पाना होगा.
इस रफ्तार से ग्रोथ करना जरूरी
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, डी सुब्बाराव सोमवार को फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FTCCI) के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर इंडस्ट्री बॉडी ने ‘India@75- Marching Towards USD 5 Trillion Economy’ कार्यक्रम का आयोजन किया था. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कार्यक्रम में कहा कि भारत के लिए 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना असंभव नहीं है, बस इसके लिए 08 चुनौतियों से पार पाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर भारत को 2028-29 तक 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना है, तो इसके लिए अगले पांच साल तक लगातार 9 फीसदी की दर से जीडीपी को बढ़ाना होगा.
अर्थव्यवस्था के सामने ये बड़ी चुनौतियां
डी सुब्बाराव ने कार्यक्रम में कहा, ‘जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है, भारत 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है, लेकिन 2028-29 से पहले इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए भी हमें अगले पांच साल के दौरान लगातार 9 फीसदी की दर से ग्रोथ करना होगा. मुझे भारत को 05 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने की राह में 08 बड़ी चुनौतियां दिखाई देती हैं.
ये चुनौतियां हैं- निवेश में तेजी लाना, उत्पादकता में बढ़ोतरी, शिक्षा व स्वास्थ्य के मोर्चे पर बेहतर परिणाम, रोजगार सृजन, कृषि की उत्पादकता बढ़ाना, मैक्रोइकोनॉमिक स्टेबिलिटी को बनाए रखना, ग्लोबल मेगा ट्रेंड को अच्छे से मैनेज करना और गवर्नेंस में सुधार लाना.’
कर्ज लेकर सब्सिडी देना ठीक नहीं
डी सुब्बाराव ने सरकारों के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी पर चल रही बहस को लेकर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेट सब्सिडी पर बहस की शुरुआत की है. इसके कारण जो स्थिति उत्पन्न हुई है, उसके लिए सभी पार्टियां जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि देश के पास सरप्लस बजट की स्थिति नहीं है. ऐसे में सेफ्टी नेट आवश्यक है. उन्हें इस बात का निश्चित तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि कर्ज से जुटाए गए पैसों से क्या कुछ फ्री में देना चाहिए. हमारी आने वाली पीढ़ियों पर अनावश्यक कर्ज का बोझ डालना उचित नहीं है.
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