नई दिल्ली। भारत ने बीजिंग (India in Beijing) में होने वाले 2022 शीतकालीन ओलंपिक (Beijing Winter Olympics 2022) का बॉयकॉट कर दिया है। विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) ने इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि शीतकालीन ओलंपिक (winter Olympics) में कोई भी भारतीय राजनयिक शामिल नहीं होगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, शीतकालीन ओलंपिक में चीन राजनीति कर रहा है। दरअसल चीन ने गलवान घाटी (Galwan Valley clash) में शामिल रहे एक सैन्य कमामंडर (military commander) को शीतकालीन ओलंपिक में मशालवाहक बनाने का निर्णय लिया जिसके बाद भारतीय राजनयिकों (Indian diplomats) ने इसका कड़ा विरोध किया. चीन के इस फैसले को गलवान घाटी में हुए विवाद को वैश्विक स्तर पर फैलाने की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इस पूरे मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय (Indian Ministry of External Affairs) ने कहा कि चीन ने ओलंपिक का राजनीतिकरण किया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार बीजिंग में भारत के कार्यवाहक राजदूत ओलंपिक उद्घाटन या फिर समापन में किसी भी तरह का हिस्सा नहीं लेंगे। क्यूई फैबाओ को मशाल वाहक बनाए जाने के बाद यूएनएससी (UNSC) में एक बैठक हुई जिसमें भारत ने अपना पक्ष रखा। भारत ने कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र (Galwan Valley Region) और इसके बाहर शांति स्थापित करने के लिए भारत शुरू से ही राजनीति और सैन्य स्तर पर बातचीत करता रहा है जिससे दोनों देशों के बीच एक शांतिपूर्ण समाधान निकल सके।
भारत ने चीन के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। अब इसको लेकर प्रसार भारती ने भी कड़ा रुख अपनाया है। प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति (CEO Shashi Shekhar Vempati) ने कहा कि डीटी स्पोर्ट चैनल (DT Sport Channel) बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन और समापन का लाइव प्रसारण करेगा। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने भी गलवान विवाद को लेकर ओलंपिक का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। गलवान विवाद के समय फैबाओ को सिर पर चोट लगी थी। विवाद के बाद चीन के सरकारी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में फैबाओ को हिरो बताया था।
भारत ने शीतकालीन ओलंपिक का विरोध करने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि चीन ने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में घायल हुए अपने सैनिकों के हाथ में ओलंपिक का मशाल दिया था। जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया है। याद करें 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। उस घटना में चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गये थे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved