नई दिल्ली। कर्मचारियों की खराब मानसिक स्थिति से बार-बार छुट्टी लेने, कम उत्पादकता और नौकरी छोड़ने से भारतीय कंपनियों को सालाना 14 अरब डॉलर की चपत लग रही है। डेलॉय के सर्वे के मुताबिक, करीब 47 फीसदी पेशेवरों ने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के पीछे कार्यस्थलों से जुड़े तनाव को बड़ा कारण बताया। वित्तीय और कोरोना से जुड़ी चुनौतियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी भारतीय कार्यबल पिछले एक साल से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहा है। इसके बावजूद समाज में इस पर चर्चा होने के भय से 39 फीसदी प्रभावित लोग इससे निपटने को जरूरी कदम नहीं उठाते। इसमें आगे कहा गया है कि सर्वे में शामिल 33 फीसदी खराब मानसिक स्थिति के बावजूद लगातार काम करते रहे हैं। 29 फीसदी ने इससे पार पाने के लिए छुट्टियां लीं, जबकि 20 फीसदी ने इस्तीफा दे दिया।
दुनिया के 15 फीसदी मानसिक रोगी भारत में
पिछले कुछ साल में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या दुनियाभर में बढ़ी है। महामारी के साथ इसमें और वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 15 फीसदी मानसिक रोगी भारत में है। डेलॉय ग्लोबल के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य एक वास्तविक मुद्दा है। पिछले दो से ज्यादा वर्षों में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों पर हमने बातचीत शुरू कर दी है। अध्ययन के मुताबिक, कंपनियों को अपने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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