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    ​इंडियन कोस्ट गार्ड को​ मिले दो ‘Green Helicopter’

  • March 18, 2021

    नई दिल्ली । तटीय सुरक्षा के लिए ‘मेड इन इंडिया’ (made in India) के तहत ​​पहले बैच में मिले दो ‘ग्रीन हेलीकॉप्टर’ (Green Helicopter) इंडियन कोस्ट गार्ड को गुरुवार को सौंप दिए गए। ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट के विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने किया है। मुंबई हमले के बाद तटीय सुरक्षा के मद्देनजर ​​एचएएल को मार्क-III के 16 विमानों का ऑर्डर दिया गया था। हरे रंग के इन हेलीकॉप्टरों में कोस्ट गार्ड की जरूरतों के आधार पर 19 बदलाव किये गए हैं।


    तटीय सुरक्षा के लिए ‘मेड इन इंडिया’ के तहत तैयार किये गए पांच ग्रीन हेलीकॉप्टरों (Green Helicopter) का पहला बैच एयरो इंडिया के आखिरी दिन 5 फरवरी को एचएएल ने नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह (Navy Chief Admiral Karambir Singh) को सौंपा था। इसमें 3 ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट नौसेना और दो एएलएच इंडियन कोस्ट गार्ड के लिए थे। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और उन्नत सेंसर से लैस समुद्री मिशन के लिए कोस्ट गार्ड की ऑपरेशन तैयारियों को बढ़ाने के लिए यही दो हेलीकॉप्टर आज एक समारोह में सौंप दिए गए।

    मुंबई पर आतंकवादी हमला होने के 9 साल बाद कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन और तटीय सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इंडियन कोस्ट गार्ड ने मार्च, 2017 में एचएएल से लगभग 5,126 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पांच साल की समय सीमा में मार्क-III वेरिएंट के 16 एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टरों (फिक्स्ड व्हील) की आपूर्ति की जानी थी। भारतीय कोस्ट गार्ड ने इस्तेमाल हो रहे पुराने एमके-I वैरिएंट में अपनी जरूरत के मुताबिक तकनीकी बदलाव के कई सुझाव एचएएल के हेलीकॉप्टर डिवीजन को दिए थे।

    इस पर एचएएल के इंजीनियरों ने ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट में तटीय सुरक्षा के लिए 270 डिग्री कवरेज के साथ एक निगरानी रडार लगाया है, जो कई समुद्री लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें वर्गीकृत और ट्रैक कर सकता है। सिंथेटिक-एपर्चर रडार, उलटा सिंथेटिक-एपर्चर रडार और मूविंग टारगेट इंडिकेशन लगाया गया है, जिसमें वेदर मोड भी है। टोही नियंत्रण के लिए सह-पायलट की ओर बहु-स्पेक्ट्रल इलेक्ट्रो-ऑप्टिक भी लगाया गया है, जो लक्ष्य प्राप्ति और सीमा की खोज करता है। इसके अलावा अन्य सुविधाओं में एयर एम्बुलेंस भूमिका के लिए चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) शामिल की गई है। हाई-इंटेंसिटी सर्चलाइट, लाउरहाइलर, 12.7-एमएम केबिन माउंटेड मशीन गन, ट्रैफिक अलर्ट और टक्कर टालने की प्रणाली लगाई गई है।

    एचएएल ने मार्क-III के हेलीकॉप्टरों को कोच्चि स्थित नौसेना की भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक स्वदेशी कम आवृत्ति के डंकन सोनार (एलएफडीएस) से लैस किया है। सोनार की इकाइयां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा उत्पादित की जा रही हैं। अब मार्क-थ्री वेरिएंट में एचएएल ने इंटीग्रेटेड आर्किटेक्चर डिस्प्ले सिस्टम (आईएडीएस) के साथ एक पूर्ण ग्लास कॉकपिट लगाया है। रोटरी विंग रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (आरडब्ल्यूआरडीसी) ने अधिक शक्तिशाली शक्ति इंजन 1एच1 इंजन के साथ एकीकृत किया है। यह हेलीकॉप्टर सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के साथ ही सुरक्षित जीवन, सुरक्षित समुद्र तट और सुरक्षित समुद्र सुनिश्चित करने में आईसीजी की भूमिका को और महत्वपूर्ण बनायेंगे।

    कोविड-19 लॉकडाउन से पहले दो साल के भीतर एचएएल ने तेजी से काम पूरा कर लिया था लेकिन फील्ड ट्रायल पर रोक लगा रखी थी। मई, 2020 में लॉकडाउन प्रतिबंध धीरे-धीरे हटाए जाने के बाद कोच्चि, चेन्नई और गोवा में भारतीय कोस्ट गार्ड ने समुद्री परीक्षण शुरू किये। इसके बाद नवम्बर तक लगभग प्रतिदिन दो हेलीकॉप्टरों से बेंगलुरु में उपयोगकर्ता प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद एचएएल ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के साथ समन्वय में अपग्रेडेड सिविल एमके-III व्हील हेलीकाप्टर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की।

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