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    भारतीय सेना का “बूढ़ा बाहुबली” T-72 टैंक होगा रिटायर, 70 के दशक से रहा है “अजय”

  • February 19, 2024

    नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) युद्ध की चुनौतियों को देखते हुए न्यू जेनरेशन (new generation) और लेटेस्ट तकनीक के हथियार अपने जंगी बेड़े में शामिल करने जा रही है. इसलिए दुश्मन का काल और भारत का बूढ़ा बाहुबली कहे जाने वाले T-72 को सेना ने रिटायर (retire) करने का फैसला लिया है. उसकी जगह सेना नए युद्धक वाहन खरीदने वाली है.

    भारतीय सेना पुराने रूसी T-72 टैंकों को बदलने के लिए के लिए तैयारी में है. भारतीय सेना भविष्य के युद्धों के लिए तैयार 1,770 लड़ाकू वाहन (FRCV) बनाने के लिए इस साल अनुमानित 57,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी परियोजना के लिए प्रस्ताव जारी करने की योजना बना रही है. 2030 से इस परियोजना की शुरुआत हो जाएगी और ये नए वाहन पुराने टैंकों की जगह लेंगे.

    बात करेंगे T-72 टैंक की, जिसकी कहानी बेहद जबरदस्त रही है. 70 के दशक का बाहुबली T-72 टैंक एक मध्यम आकार का लड़ाकू टैंक है जो जमीन पर आसानी से चल सकता है. इसे दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और सैनिकों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है. इसमें 125 mm की तोप है जो 4,500 मीटर दूर तक मार सकती है. इसके साथ ही 12.7 mm की मशीन गन से हवा में उड़ने वाले छोटे निशानों को भी मार गिराया जा सकता है.


    इस तोप के साथ ही 7.62 मिलीमीटर की एक और मशीन गन भी लगी है. यूरोप के बाहर भारत पहला ऐसा देश था जिसने रूस से टी-72 टैंक को खरीदा था. वर्तमान में भारत के पास टी-72 टैंक के तीन वैरियंट में करीब 2000 से अधिक यूनिट हैं. यह बेहद हल्का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है. यह न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बनाया गया है. इस टैंक का वजन 41 हजार किलोग्राम है. इसमें तीन जवानों के बैठने की जगह है. इस टैंक की ऊंचाई 2,190 एमएम है. टी-72 टैंक की चौड़ाई 3,460 एमएम है. यह टैंक सड़क पर अधिकतम 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. वहीं टी-72 टैंक कच्चे रास्तों पर 35-45 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है.

    भारतीय सेना के पास हैं 2,400 से ज्यादा टी-72 टैंक
    इस वक्त भारतीय सेना में 2,400 से ज्यादा टी-72 टैंक हैं. इन टैंक्स के अपग्रेड करने के लिए फ्रांस, पोलैंड और रूस भेजना पड़ता है, जो काफी खर्चीला काम है. इस टैंक को 1960 के दशक में रूस में बनाया गया था. 1973 में इसे सोवियत सेना में शामिल किया गया था. हालांकि, सेना टी-72 टैंक को अपग्रेड करने की तैयारी भी कर रही है. सेना को रक्षा मंत्रालय से अपने T-72 टैंकों के लिए मौजूदा 780 हॉर्स पावर के इंजन की जगह 1000 हॉर्स पावर के इंजन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. इस 2,300 करोड़ रुपये की योजना के तहत 200 इंजन सीधे आयात किए जाएंगे, जबकि 800 भारत में बनाए जाएंगे.

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