नई दिल्ली। चीन (China) ने हाल ही में कंबोडिया (Cambodia) के साथ हुई मिलिट्री एक्सरसाइज में मशीन-गन (Machine Gun) के साथ ‘रोबो डॉग’ (‘Robo Dog’) का प्रदर्शन किया था। इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी और इस बात का आकलन करने की अनुमति दे दी कि ये कुत्ते जैसे दिखने वाले रोबोट युद्ध के मैदान पर क्या प्रभाव डालेंगे। वहीं, भारतीय सेना (Indian Army) भी रोबो डॉग्स को लेकर काफी सीरियस है। भारतीय सेना भी जल्द ही रोबोटिक डॉग म्यूल यानी मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (MULE) को आर्मी का हिस्सा बना सकती है। इन रोबोटिक डॉग म्यूल को फिलहाल निगरानी और हल्के वजन को ढोने के लिए तैनात किया जाएगा। वहीं इन्हें चीनी सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया जा सकता है।
आतंकियों के साथ लड़ाई में बेहद कारगर
भारतीय सेना लंबे समय से मिलिट्री टेक्नोलॉजी में नई तकनीकों की खोज कर रही है। पिछले साल जम्मू में हुए नॉर्थ टेक सिंपोसियम 2023 में भारतीय सेना के लिए खासतौर पर बनाए गए रोबोटिक डॉग की काफी चर्चा हुई थी, जिसे युद्ध और निगरानी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया था। यह म्यूल न केवल बर्फ और पहाड़ों में चल सकता है, बल्कि उन संकरी और अंधेरी जगहों में भी जा सकता है, जहां आतंकवादी या दुश्मन छिपे हो सकते हैं। यह आतंकियों के साथ ‘फर्स्ट कॉन्टैक्ट’ में बेहद काम आ सकता है, जहां यह तो पता है कि यहां दुश्मन छिपा बैठा है, लेकिन उसकी सटीक लोकेशन के बारे में कोई अंदाजा नहीं है। ऐसे में यह म्यूल अपने 360 डिग्री कैमरों की मदद से उनकी सही लोकेशन का पता लगा कर, फायरिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके दुश्मन को मार गिराया जा सकता है।
पिछले साल की थी आपातकालीन खरीद
सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पिछले साल सितंबर में आपातकालीन खरीद के लिए 100 रोबोटिक्स कुत्तों का ऑर्डर दिया गया था। वहीं इनमें से 25 ऐसे म्यूल्स को सेना को सौंपने से निरीक्षण पूरा हो चुका है। इन्हें जल्द ही सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि चूंकि यह एक आपातकालीन खरीद थी, जिसके तहत 300 करोड़ रुपये तक के ही कॉन्ट्रैक्ट दिए जा सकते हैं। अगर ये रोबो डॉग्स अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो सेना जल्द ही इनकी बड़ी खरीद के लिए रिक्वेस्ट ऑफर प्रपोजल जारी करेगी। सूत्रों के मुताबिक आर्कवेंचर्स इन म्यूल्स की सप्लाई करेगी। यह कंपनी घोस्ट रोबोटिक्स के लाइसेंस के तहत इन रोबो डॉग्स का निर्माण करेगी।
निगरानी के लिए थर्मल कैमरे और सेंसर
सूत्रों ने बताया कि इन रोबोट डॉग्स में निगरानी के लिए थर्मल कैमरे और अन्य सेंसर लगे हैं। साथ ही, इनमें छोटे हथियार भी लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा इनका इस्तेमाल सीमा पर तैनात जवानों तक छोटे-मोटे सामान ले जाने के लिए भी किया जा सकता है। इससे पहले भारत ने भी 12 मार्च को राजस्थान के पोकरण में हुए सैन्य अभ्यास में रोबोटिक डॉग म्यूल का प्रदर्शन किया था। वहीं, मई में आगरा स्थित शत्रुजीत ब्रिगेड ने ऐसे ही एक रोबोटिक डॉग म्यूल की खूबियां साझा की थीं।
10 किमी तक की दूरी से कर सकते हैं कंट्रोल
इसी साल 12 मार्च को भारतीय सेना ने पोकरण में हुए भारत शक्ति सैन्य युद्धाभ्यास में ऐसे ही एक म्यूल (मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट) की झलक दिखाई थी। थर्मल कैमरों और रडार से लैस यह म्यूल ऊबड़-खाबड़ जमीन, 18 सेमी ऊंची सीढ़ियों और 45 डिग्री वाले पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से चढ़ सकता है। इस रोबो म्यूल डॉग की चार टांगें हैं और इसका वजन करीब 51 किलो और लंबाई 27 इंच के आसपास है। यह 3.15 घंटों तक लगातार चल सकता है। मात्र एक घंटे में रिचार्ज हो कर यह लगातार दस घंटे तक काम कर सकता है। इसकी पेलोड क्षमता 10 किलोग्राम है, थर्मल कैमरे और रडार जैसे कई उपकरण इसमें लगाए जा सकते हैं। इसे वाई-फाई या लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन यानी एलटीई पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। छोटी दूरी के लिए, वाई-फाई का उपयोग किया जा सकता है, जबकि 4जी/एलटीई का उपयोग 10 किमी तक की दूरी के लिए किया जा सकता है। म्यूल एक एनालॉग-फेस वाली मशीन है, जिसे रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है। इसमें एक इंटीग्रेटेड फायरिंग प्लेटफॉर्म भी है।
‘गोल्डन ड्रैगन’ में रोबो डॉग्स रहे शो स्टॉपर
इसी साल मई में, चीन और कंबोडिया के बीच हुए सैन्य अभ्यास में लगभग 2,000 सैनिक शामिल हुए थे। ‘गोल्डन ड्रैगन’ मिलिट्री एक्सरसाइज में 14 युद्धपोत, हेलीकॉप्टर और लगभग 70 बख्तरबंद वाहन और टैंक शामिल थे। 15-दिन तक चले इस अभ्यास में लाइव फायर, आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण जैसे अभ्यास शामिल थे। वहीं रोबो डॉग्स इस एक्सरसाइज के शो स्टॉपर थे।
चीन की रोबो-डॉग टेक्नोलॉजी
मॉर्डन वारफेयर में टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट की अहम भूमिका है। इनमें आर्मर्ड रोबोटिक डॉग्स की अहम भूमिका है। चीन इनमें तेजी से आगे बढ़ रहा है। चीन के ये रोबोटिक कुत्ते भी सीढ़ियां चढ़ने, बैकफ्लिप जैसे कलाबाजी करतब दिखाने, और उबड़-खाबड़ चुनौतीपूर्ण इलाकों को पार करने की क्षमता रखते हैं। वहीं, ये 20 किलो तक का भार उठाते हुए लगभग चार घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं। चीन के रोबो डॉग्स की क्षमताओं का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2023 में यूएस मरीन ने प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट टेस्ट के दौरान एक चीन निर्मित रोबोट डॉग यूनिट्री गो1 ने अपनी मोबिलिटी, युद्धाभ्यास और पेलोड क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए एक M72 लाइट एंटी-टैंक हथियार (LATW) से टारगेट को निशाना बनाया। खास बात यह है कि इसकी कीमत 3,000 डॉलर से भी कम है। जबकि अमेरिकी निर्मित बोस्टन डायनेमिक्स स्पॉट डॉग की कीमत लगभग 60,000 डॉलर के आसपास है। अमेरिकी सेना ने इससे पहले यूक्रेन में माइन क्लीयरेंस के लिए बोस्टन डायनेमिक्स रोबोट कुत्ते का इस्तेमाल किया था।
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