नई दिल्ली । भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने एलएसी गतिरोध के बीच आक्रामक अभ्यास के दौरान अपनी युद्ध क्षमताओं का परीक्षण किया। दुश्मन को एक तेज झटका देने के लिए आक्रामक युद्धाभ्यास के दौरान सामरिक हवाई समर्थन और उप-पारंपरिक युद्ध अभ्यास में भी भाग लिया। इस अभ्यास का उद्देश्य सैन्य अवधारणाओं और आक्रामक युद्धाभ्यास को विकसित करना था ताकि एक नेटवर्क और सूचना-युक्त डोमेन में काम करते समय दुश्मनों के किसी भी दुस्साहस का मुकाबला किया जा सके।
उपमहाद्वीप में एक अस्थिर सुरक्षा वातावरण के बीच सेना की पश्चिमी कमान ने एकीकृत प्रशिक्षण अभ्यास किया, जिसमें सभी हथियारों को शामिल किया गया था ताकि पश्चिमी मोर्चे पर इनकी परिचालन भूमिका के अनुरूप युद्ध ड्रिल को ठीक किया जा सके। सेना की यह कमांड पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कुछ हिस्सों को कवर करती है। सेना की सबसे शक्तिशाली स्ट्राइक कोर अंबाला स्थित खरगा वाहिनी की विभिन्न इकाइयों ने अपने शीतकालीन प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में फील्ड ड्रिल को अंजाम दिया। उत्तरी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ पिछले नौ महीनों से जारी टकराव के बीच हुए इस अभ्यास में बड़ी संख्या में सैनिक बख्तरबंद, तोपखाने और इंजीनियर रेजिमेंट के साथ शामिल हुए। इस तरह के अभ्यास में सामरिक वायु समर्थन, हेली-जनित ऑपरेशन और उप-पारंपरिक युद्ध भी शामिल हैं। अभ्यास के दौरान पश्चिमी कमांड से कुछ इकाइयों को पूर्वी लद्दाख तक ले जाया गया।
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इसी माह के अंत तक सेना में होगा पुनर्गठन
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना में इसी माह के अंत तक एक बड़ा पुनर्गठन किये जाने की योजना है। एकीकृत युद्ध समूहों (आईबीजी) के प्रस्ताव पर सेना एलएसी के पहाड़ों पर दो स्ट्राइक कॉर्प्स तैनात रखना चाहती है। मौजूदा स्ट्राइक कोर आई कॉर्प्स और 17 कॉर्प्स को क्रमशः उत्तरी और पूर्वी इलाकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए थोड़ा पुनर्गठित किया जाएगा, ताकि चीन से किसी भी खतरे का सामना किया जा सके। मौजूदा समय में सेना के पास चार स्ट्राइक कॉर्प्स हैं जिनमें मथुरा स्थित I कॉर्प्स, अंबाला स्थित II कॉर्प्स, भोपाल स्थित 21 कॉर्प्स और पानागढ़ स्थित 17 कॉर्प्स हैं। स्ट्राइक कोर की प्राथमिक भूमिका विरोधी के खिलाफ आक्रामक सीमा पार कार्रवाई करना होता है।
मथुरा स्थित कॉर्प्स अभी तक केवल पश्चिमी क्षेत्र में पाकिस्तान की सीमा के लिए जिम्मेदार थी लेकिन अब इसे उत्तरी कमान के लिए भी तैयार किया जा रहा है। इसी तरह पुनर्गठित किये जाने के बाद पानागढ़ स्थित 17 स्ट्राइक कॉर्प्स का ध्यान केवल पूर्वी क्षेत्र पर रहेगा। पूर्वी क्षेत्र मुख्य तौर पर सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं को चीन के साथ कवर करता है। इसी तरह उत्तरी क्षेत्र में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर का हिस्सा आता है जबकि केंद्रीय क्षेत्र पूर्वी लद्दाख के दक्षिण और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमाओं को चीन के साथ साझा करता है। सूत्रों ने कहा कि सेना का पुनर्गठन किये जाने पर आई कॉर्प्स को दो इन्फैन्ट्री डिवीजनों के साथ उत्तरी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की जिम्मेदारी दिए जाने की योजना है।
एलएसी के पास चीन सुधार रहा है अपने एयरबेस
इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक चीन एलएसी के पास अपने एयरबेस में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बना रहा है। अपने फाइटर जेट के लिए नए हैंगर बना रहा है और लाइटिंग सिस्टम भी सुधार रहा है। सूत्रों के मुताबिक चीन अपने एयरबेस में चारों तरफ से बंद हैंगर तैयार कर रहा है जिनमें चीन अपने फाइटर एयरक्राफ्ट को सुरक्षित रख सके। हैंगर की दीवार को तीन मीटर से भी ज्यादा मोटा बनाया जा रहा है और हैंगर के दरवाजों को सिंगल पीस स्ट्रांग स्टील प्लेट से तैयार किया जा रहा है। इन्हें इस हिसाब से तैयार किया जा रहा है कि 300 से 500 किलो के बम, ग्रांउड पैनिट्रेटिंग बम से हैंगर में खड़े फाइटर जेट को नुकसान न हो। चीन पाकिस्तान में स्कार्दू एयरबेस में भी नया लाइटिंग सिस्टम लगा रहा है ताकि चौबीसों घंटे, हर मौसम में एयर ऑपरेशन जारी रखा जा सके।
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