नई दिल्ली (New Delhi) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकवाद (Terrorism) के सफाए के लिए सुरक्षा बल (security forces) और जांच एजेंसियां (Investigative Agencies) कई स्तरों पर रणनीति बनाकर काम कर रही हैं। एक तरफ घुसपैठ रोकने का ठोस ब्लूप्रिंट बनाया गया है। स्थानीय युवाओं के विशेष दस्तों को घुसपैठ रोधी टीम में तैनाती किया जा रहा। वहीं लोकल ह्युमन इंटलीजेंस को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती इलाको में युवाओं की टीम बनाकर उन्हें सुरक्षा बलों से जोड़ा जा रहा है।
आतंक से आर-पार की लड़ाई के लिए स्पेशल तकनीकी टीम भी तैयार की गई है जो ह्युमन इंटलीजेंस इनपुट का त्वरित तकनीकी विश्लेषण करके इसकी अहम जानकारी सुरक्षा बलों से साझा करेगी। आतंकियों के मूवमेंट वाले इनाकों में कई टुकडियां मिलकर अभियान चलाएंगी। इसके अलावा एसपीओ की भर्ती बढ़ाने के लिए खाका तैयार है। वहीं अत्याधुनिक हथियारों के साथ सीआरपीएफ की कई बटालियन संवेदनशील इलकों में तैनात की जा रही है। यह बटालियन आतंकरोधी अभियान में विशेष रूप से दक्ष् हैं। सेना के सहयोग के साथ हर स्तर पर एंटी टेरर यूनिट सक्रिय की गई है।
एक अधिकारी ने कहा कि हमारा फोकस समयबद्ध तरीके से आतंक के गढ़ का खात्मा करने के अलावा नए क्षेत्रों में आतंक का प्रसार रोकना है। जांच एजेंसियों को भी आतंकी मददगार तंत्र पर नकेल कसने में तेजी को कहा गया है। सूत्रों ने कहा कि सीमा पार पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका लगातार बड़े हमले करवाने की फिराक में हैं। सेना और सुरक्षाबलों को मिले विशेष इनपुट के मुताबिक फिलहाल कश्मीर घाटी में कुल 135 आतंकवादी एक्टिव हैं। इनमें से 110 पाकिस्तानी हैं।
आतंक की कमर तोड़ने का पूरा खाका
एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद आखिरी चरण में है। दरअसल इसके पीछे सुरक्षा एजेंसियों की ओर से बनाया गया वह ब्लूप्रिंट है जिसमें आतंक की कमर तोड़ने का पूरा खाका है। पहला लक्ष्य घाटी में मौजूद आतंकियों का खात्मा करना है और उनके मददगारों की भी कमर तोड़नी है। आतंकी मददगारों पर आंतक की धाराओं के तहत सख्ती के अलावा उनकी संपत्तियों की जब्ती की जा रही है। सरकार और सुरक्षाबल आतंक से निपटने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
आतंकी सुरक्षाबलों के लिए चुनौती
सूत्रों ने कहा, अभी भी घाटी में सौ से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी सुरक्षाबलों के लिए चुनौती हैं। सुरक्षा बल इन्हें मार गिराने की रणनीति पर काम कर रहे। एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में लगातार एक क्रिटिकल संख्या बनाए रखता है। यह संख्या कम होती है तो नए आतंकी घुसपैठ करके आ जाते हैं। पिछले कुछ सालों में घुसपैठ रोधी तंत्र को बेहद मजबूत बनाया गया है, लेकिन आतंकी मददगारों के जरिए नए इलाकों को टार्गेट करके घुसपैठ करते हैं। घाटी में सख्ती के बाद जम्मू को निशाना बनाने की कोशिश शुरू हो गई।
अग्रिम मोर्चों पर स्थानीय दस्ते
सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान से भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों की घुसपैठ में वृद्धि को रोकने के लिए अब स्थानीय दस्तों को अग्रिम मोर्चों पर लगाया जा रहा। जम्मू संभाग के सीमावर्ती क्षेत्रों में नई टुकडियां तैनात की गई हैं। घुसपैठ-रोधी और आतंकवाद-रोधी टीम पूरी तरह से इसी मकसद के लिए काम करेगी। सीमावर्ती गांवों से ऐसे युवाओं को आतंकरोधी अभियान का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा जो इलाके को अच्छी तरह से जानते हैं। दुश्मन की रणनीति को भी समझते हैं। सूत्रों ने बताया कि विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों को उनकी संबंधित सीमावर्ती तहसीलों में तैनात करके मानव खुफिया तंत्र को मजबूत करने पर भी काम हो रहा है।
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