उत्तरकाशी: उत्तरकाशी टनल हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) का आज 13वां दिन है. अभी तक मजदूर टनल से बाहर नहीं आ पाए हैं. रेस्क्यू टीम (rescue team) राहत बचाव कार्य में तेजी से जुटी है. अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग (drilling with earth auger machine) का काम जारी है, लेकिन मलबे में बीच-बीच में लोहे का सरिया (iron rod) आ जाने के कारण ड्रिलिंग का काम प्रभावित हो रहा है. अधिक वाइब्रेट होने के कारण अर्थ ऑगर मशीन में भी खराबी आ जा रही है, जिसको ठीक होने में फिर 6 से 7 घंटे का समय लग जा रहा है. फिलहाल इस रेस्क्यू मिशन में अब इंडियन आर्मी की एंट्री (Indian Army’s entry) होने वाली है. टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना ने अल्टरनेटिव प्लान तैयार किया है.
जानकारी के मुताबिक, अगर मौजूदा ऑपरेशन फेल होता है तो भारतीय सेना इस ऑपरेशन की कमान संभालेगी. इस समय 201 इंजीनियरिंग रेजीमेंट की टीम टनल साइट पर मौजूद है. भारतीय सेना की यह टुकड़ी अपने साजो सामान के साथ टनल के दाएं हिस्से में मिनी टनल बनाकर अंदर घुसने की कोशिश करेगी. साइड ड्रिफ्ट की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इंजीनियरिंग रेजीमेंट 1.22*1.5 मीटर स्टील के बॉक्स एक के बाद एक लगाते हुए 60 मीटर की दूरी तय करेगी.
सामान्य स्थिति में प्रतिदिन 4 मीटर से लेकर 8 मीटर की दूरी तय की जा सकेगी. इस ऑपरेशन में सिविल इंजीनियर और दूसरी एजेंसियों की मदद ली जाएगी, जो इस बॉक्स में घुसते समय राह में आने वाले मलबे, स्टील के ढांचे को काटने का काम करेगी. सेना की टुकड़ी ने पहुंचने वाले मेटल के फ्रेम तैयार कर लिए हैं. हालांकि अभी भी उन्हें उम्मीद है कि मौजूदा ऑपरेशन कारगर हो सकता है, लेकिन अगर यह नाकामयाब होता है तो 201 इंजीनियरिंग रेजीमेंट की तैयारी पूरी है.
सेना की इंजीनियरिंग यूनिट स्टैंडबाई पर है और आदेश मिलते ही कुछ ही मिनट में ऑपरेशन शुरू कर देगी. वहीं पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुलबे ने रेस्क्यू मिशन को लेकर बताया कि अभी 14 मीटर ड्रिल करना बाकी है. बीते गुरुवार तक 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो गई थी. 57 से 60 मीटर करना ड्रिलिंग करनी पड़ सकती है. अगर कोई बाधा नहीं आई तो जल्द टनल से मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा.
वहीं इस रेस्क्यू मिशन के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल और NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि फिलहाल अभी ड्रिलिंग का काम रुका है. शाम करीब 5 बजे तक ड्रिलिंग का काम फिर से शुरू हो सकता है. जीपीआर टेक्नोलॉजी से पता लगा है कि आगे पांच मीटर तक ऐसा कोई ऑब्जेक्ट नहीं, जिससे अवरोध उत्पन्न हो. अब तक ड्रिल करके 46.8 मीटर माइल स्टील पाइप डाला जा चुका है. जीपीआर टेक्नोलॉजी की टीम की फिर से मदद ली जाएगी. मैनुअल तरीके से भी पत्थर और दूसरी चीजों को काटा गया है. अर्थ ऑगर मशीन में कोई दिक्कत नहीं है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved