नई दिल्ली । भारतीय सेना में मानवाधिकारों से सम्बंधित मामलों की जांच करने के लिए अलग से प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इस मानवाधिकार प्रकोष्ठ का पहला अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल गौतम चौहान को बनाया गया है। वह भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी के तहत काम करेंगे। मेजर जनरल गौतम चौहान ने अपना कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सेना के साथ संवेदनशील संघर्ष क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप सामने आते हैं लेकिन इस ओर हमेशा ध्यान नहीं जाता है। भारतीय सेना ने मानवाधिकार अधिकारों और मूल्यों के पालन को उच्च प्राथमिकता देने के लिए मानवाधिकार प्रकोष्ठ का गठन किया है। इसका प्रमुख मेजर जनरल गौतम चौहान को नियुक्त किया है जिन्होंने भारतीय सेना में पहले अतिरिक्त महानिदेशक मानवाधिकार के रूप में पदभार संभाल लिया है। वह सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी के तहत काम करेंगे। मानवाधिकार सेल सेना में किसी भी तरह के मानवाधिकार उल्लंघन मामलों की जांच करेगा। इस सेल की पारदर्शिता बढ़ाने और खोजी विशेषज्ञता हासिल करने के लिए भारतीय पुलिस सेवा के एसएसपी या एसपी रैंक के एक अधिकारी को सेना में प्रतिनियुक्ति पर लिया जाएगा। वह न केवल जांच में कानूनी सहायता करेंगे, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर अन्य संगठनों और गृह मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करने में भी मदद करेंगे।
उन्होंने बताया कि अतिरिक्त महानिदेशक मानवाधिकार का पद सेना में घोषित कई सुधारों का हिस्सा है। भारतीय सेना में मानवाधिकार के मामले न के बराबर हैं लेकिन यह मानवाधिकार प्रकोष्ठ पेशेवर तरीके से आरोपों को देखने में मदद करेगा और आंतरिक प्रहरी के रूप में भी कार्य करेगा। रक्षा मंत्रालय ने अगस्त, 2019 में मानवाधिकार प्रकोष्ठ को मंजूरी दी थी। इसका गठन एक मेजर जनरल रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में किया जाना था, इसीलिए अब मेजर जनरल चौहान को पहला अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। अभी तक वह एकीकृत रक्षा स्टाफ (मुख्यालय आईडीएस) के मुख्यालय में ब्रिगेडियर ऑपरेशन लॉजिस्टिक्स के रूप में सेवारत थे। इससे पहले उन्होंने उत्तर पूर्व में गोरखा राइफल्स की एक ब्रिगेड का नेतृत्व किया है। उन्होंने सैन्य संचालन निदेशालय (एमओ) में भी काम किया है।
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