नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले साल चीनी सैनिकों के हरकत के बाद से ही भारतीय सेना (Indian Army) अलर्ट पर है। अब भारतीय सेना ने लद्दाख (Ladakh) के मैदानों में चीनी सेना के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए खास तैयारी की है और K-9 वज्र सेल्फप्रोपेल्ड आर्टिलरी को तैनात किया है।
K-9 को 2018 में भारतीय सेना में शामिल किया गया है और लद्दाख में पहली बार इनकी तैनाती की गई है। K-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी लद्दाख के मैदानों में कार्रवाई के लिए बहुत कारगर हथियार है। इसमें 155 मिमी की तोप लगी है, जिसकी रेंज 18 से 52 किमी है। इसमें टैंकों की तरह ट्रैक लगे हुए हैं, जिससे ये किसी भी तरह के मैदान में चल सकती है। इसका ताकतवर इंजन इसे 67 किमी प्रति घंटे की रफ्तार देता है। इसमें 5 सैनिकों का क्रू होता है, जो किसी टैंक की तरह मजबूत बख्तर से पूरी तरह सुरक्षित होता है।
भारतीय सेना ने फरवरी में लद्दाख के मैदानों इसका परीक्षण शुरू कर दिया था। K-9 वज्र में टैंक और तोप दोनों की ही खासियत हैं। किसी टैंक की तरह इसका बख्तर दुश्मन की गोलाबारी से इसे पूरी तरह सुरक्षित रखता है और ट्रैक इसे हर तरह के मैदान में तेजी से चलने में मदद करता है। वहीं ये किसी तोप की तरह लंबी दूरी तक भारी गोलाबारी कर सकती है।
लद्दाख में मई 2020 से भारत और चीन आमने-सामने हैं। चीन ने तनाव शुरू होने के बाद से ही बड़ी तादाद में अपने टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को यहां तैनात किया है। सूत्रों के मुताबिक चीन की चौथी और छठवीं मोटराइज्ड डिवीजन यहां तैनात हैं। भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए पर्याप्त संख्या में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती की है।
भारतीय सेना ने अपने टी 90 टैंकों को भी लद्दाख में तैनात कर दिया है। पिछले साल 30 अगस्त से पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कार्रवाई करते हुए भारत ने कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत ने चुशूल क्षेत्र में रेजांग ला, रेचिन ला और मुखपरी चोटियों पर 15000 फीट तक की ऊंचाई पर अपने टैंकों को तैनात कर दिया था। इस साल फरवरी में दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद दोनों ही सेनाएं दक्षिण लद्दाख के कई जगहों पर कुछ पीछे हट गई थीं, लेकिन अभी भी दौलत बेग ओल्डी सहित कई जगहों पर सैनिक आमने-सामने हैं।
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