नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले 5 महीनों से तनाव जारी है। दोनों ही देशों की सेनाएं इस वक्त पूरी तैयारी के साथ एक-दूसरे के आमने-सामने जुटी हैं। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में अपने बयान में दावा किया था कि एलएसी पर दोनों देशों के गश्त के तरीके और पारंपरिक इलाके पहले से तय हैं और दुनिया की कोई ताकत भारतीय सेना को गश्त करने से नहीं रोक सकती। उन्होंने दावा किया था कि गश्त के तरीकों में भी बदलाव नहीं होगा। हालांकि, अब खुलासा हुआ है कि चीन ने पैंगोंग सो के अलावा डेपसांग में भी भारतीय सेना के पांच पारंपरिक पैट्रोलिंग पॉइंट में गश्त पर रोक लगा दी है।
एक उच्च सरकारी सूत्र ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि चीनी सेना ने डेपसांग में तो मौजूदा टकराव से पहले ही पांच पैट्रोल पॉइंट्स पर भारतीय सेना को गश्त करने से रोक दिया था। यानी सेना इस साल के मार्च-अप्रैल से ही पैट्रोलिंग पॉइंट- 10, 11, 11ए, 12 और 13 तक गश्त के लिए नहीं जा पाई है। बताया गया है कि दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्दी रोड (DSDBO) के पूर्व में पड़ने वाले ये पांच पैट्रोलिंग पॉइंट एलएसी के काफी करीब भारतीय सीमा में ही हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि जिस इलाके पर भारतीय सेना की गश्ती रोकी गई है, वह करीब 50 वर्ग किमी का है। हालांकि, चीन के मामलों में सरकार की सलाहकार समिति ‘चाइना स्टडी ग्रुप’ के एक सदस्य ने बताया कि इन पैट्रोलिंग पॉइंट की स्थिति कूटनीतिक तौर पर काफी अहम है और इस इलाके में यह बड़ा बदलाव है।
बताया गया है कि यह पैट्रोल पॉइंट भारत के सीमा के पास बुर्त्से स्थित सैन्य बेस से सिर्फ 7 किलोमीटर ही दूर है। यह सभी पीपी लद्दाख में Y-जंक्शन से कुछ ही दूरी पर हैं। इस Y-जंक्शन की एक सड़क उत्तर में राकी नाला स्थित पीपी-10 की तरफ जाती है, जबकि दक्षिण-पूर्व की तरफ जाने वाला ट्रैक जीवन नाला के पास पीपी-13 की तरफ जाता है। इसके अलावा दक्षिण की तरफ जाने वाला एक रूट पीपी-11, 11ए और 12 की तरफ है।
बता दें कि एलएसी के इस पार के सभी इलाके भारतीय नियंत्रण में आते हैं। पैट्रोलिंग पॉइंट्स पर गश्त के जरिए ही सेना इन इलाकों और उसके आसपास आने वाले क्षेत्र को अपने नियंत्रण में होने का दावा करती है। डेपसांग में भारतीय सेना की गश्त को बंद कराने के लिए चीनी सेना को न सिर्फ एलएसी पर पैट्रोलिंग पॉइंट्स भी पार करने पड़े होंगे।
हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि चीन को इन पैट्रोलिंग पॉइंट से भारत का संपर्क काटने के लिए वहां रुकना जरूरी नहीं है, बल्कि जब भारतीय सेना उन पीपी तक पहुंचती हैं, तो चीनी भी वहां आ जाते हैं। सूत्र का कहना है कि भारत जब चाहे उन पैट्रोल पॉइंट्स पर जा सकता है, पर इससे सिर्फ एक और टकराव वाला क्षेत्र बन जाएगा। हालांकि, एक पूर्व सैन्य कमांडर का कहना है कि चीनियों के लिए भारतीय सेना को बॉटलनेक तक रोक देना तब तक संभव नहीं है, जब तक वह इस जगह के करीब पैर न जमाए हो या उसके पास निगरानी तंत्र न हो।
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