नई दिल्ली: कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए भारतीय सेना (indian army) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को आदेश का पालन करने का भरोसा दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया था कि सेना में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता और उन्हें भी पुरुषों की तरह परमानेंट कमीशन (Permanent Commission) दिया जाए. इसके बाद सेना ने कई महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया था, लेकिन कुछ को नहीं दिया गया था. ऐसी 71 महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोर्ट के आदेश की अवमानना की बात कही थी. इसी याचिका पर सुनवाई हो रही थी.
भारतीय सेना ने कहा है कि वह महिलाओं को परमानेंट कमीशन देगी. इस मामले में सेना की तरफ से बताया गया कि 72 में से सिर्फ 14 महिलाओं को ही परमानेंट कमीशन नहीं दिया गया है. क्योंकि वो मेडिकली फिट नहीं हैं. इस दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हमारा फैसला साफ है. इसके बावजूद सेना ने सही कार्रवाई नहीं की और आदेश का पालन नहीं किया. सेना को समझना चाहिए कि वह संविधान से ऊपर नहीं है. प्रथम दृष्टि ये कोर्ट की अवमानना का मामला लगता है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रथम दृष्टि नजर आ रहा है कि कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है. फिर भी हम एक मौका देते हैं कि सेना अपनी गलती को सुधार लें. सेना की तरफ से फिर बताया गया कि फिलहाल 72 में से सिर्फ 14 महिलाओं को मेडिकली अनफिट पाया गया है. एक महिला का मामला विचाराधीन है. बाकी महिलाओं को परमानेंट कमीशन के लिए चिट्ठी भेज दी गई है. इसके बाद सेना ने फौरन फैसला लिया कि 14 में से 11 महिलाओं को 10 दिन के अंदर परमानेंट कमीशन दिया जाएगा. लेकिन सिर्फ 3 महिलाओं को नहीं दिया जा सकता क्योंकि वो मानकों पर बिल्कुल भी खरी नहीं उतर रहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और इन 11 महिलाओं को चिट्ठी जारी करने का आदेश दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साथ-साथ ये भी आदेश दिया कि जो महिलाएं सुप्रीम कोर्ट नहीं आई हैं और मुकदमा नहीं दाखिल कर पाई हैं उन्हें भी परमानेंट कमीशन की चिट्ठी जारी की जाए. ये काम अगले 20 दिन में पूरा हो.
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