नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) लगातार अपनी ताकत में इजाफा करने में जुटी हुई है। हाल ही में 83 LCA तेजस मार्क 1A एयरक्राफ्ट को मंजूरी मिलने का बाद लेना 114 लड़ाकू विमानों की डील पर ध्यान लगा रही है। यह डील 1.3 लाख करोड़ रुपए की होगी। वायुसेना ने इसके संबंध में जानकारी के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफर्मेशन (RFI) जारी कर दिया है।
वहीं, अमेरिकी, फ्रांस, रूस और स्वीडन समेत कई बड़े निर्माताओं ने इस पत्र का जवाब दिया है। सरकार के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया “83 LCA तेजस मिग -21, फाइटर जेट्स के चार स्क्वाड्रन की जगह लेगा, जिन्हें निकट भविष्य में चरणबद्ध किया जाना है। अब 114 फाइटर जेट्स प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।”
भारतीय वायुसेना ने निविदा के लिए सूचना का अनुरोध पहले ही जारी कर दिया है और जल्द ही इस परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय के समक्ष आवश्यकता (AoN) की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव दिया जाएगा। यह 4।5 प्लस पीढ़ी के विमानों का अधिग्रहण करने में सक्षम करेगा। आपको बता दें कि 36 राफेल विमानों का एयरफोर्स में शामिल होने की प्रक्रिया पिछले साल ही शुरू हो चुकी है।
रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) का जवाब कई वैश्विक कंपनियों ने दिया है, जिनमें अमेरिका, फ्रांस, रूस और स्वीडन के फाइटर जेट निर्माता शामिल हैं। अमेरिकी एफ-15 स्ट्राइक ईगल, एफ -18 सुपर हॉर्नेट और एफ-16 वेरिएंट को एफ -21 के नाम से पेश कर रहे हैं, रूस की तरफ से मिग-35 और सुखोई फाइटर की पेशकश करने की संभावना है। फ्रांस राफेल लड़ाकू जेट के साथ निविदा में भाग लेगा। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 114 लड़ाकू अधिग्रहण परियोजना के लिए राफेल को मजबूत दावेदारों में से एक करार दिया था।
सूत्रों ने कहा कि परियोजना में चयन के लिए मुख्य पहलू प्रस्ताव की कीमत के साथ-साथ विमान की क्षमताएं होंगी। भारतीय वायु सेना उन मापदंडों को भी तैयार कर रही है जिसके आधार पर उन लड़ाकू विमानों का चयन किया जाएगा। इसमें एकल-इंजन और डबल इंजन दोनों तरह के फाइटर जेट शामिल होंगे। ये 114 विमान मेड इन इंडिया होंगे। विदेशी कंपनियों को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत एक मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग बनाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करना आवश्यक होगा।
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