श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) तकनीक के क्षेत्र में हर दिन बड़े-बड़े कारनामे करके दिखा रहा है। इसरो पीएसएलवी-सी 50 को आज श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित करेगा, जिसके ज़रिये संचार उपग्रह सीएमएस-01 को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा। जिसकी 25 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
इसरो ने कहा कि पीएसएलवी का 52वां मिशन पीएसएलवी-सी 50 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय प्रक्षेपण पैड से संचार उपग्रह सीएमएस-01 का प्रक्षेपण करेगा। प्रक्षेपण अस्थायी तौर पर आज दोपहर 3:41 बजे निर्धारित है, जो मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
संचार उपग्रह सीएमएस-01 ‘एक्सटेंडेड सी बैंड’ में सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है जिसके दायरे में भारत की मुख्य भूमि, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह होंगे। सीएमएस-01 देश का 42 वा संचार उपग्रह है।
सीएमएस -01 का जीवनकाल सात साल का होगा और जुलाई 11 , 2011 को प्रक्षेपित किये गए Gsat – 12 का रिप्लेसमेंट होगा। नवंबर 7 को प्रक्षेपित किये गए EOS – 01 रिमोट सेंसिंग सॅटॅलाइट के बाद ये इस साल का दूसरा प्रक्षेपण होगा। कोरोना के कारण इस साल करीब १० लांच प्रभावित हुए हैं।
इसके बाद दो और सैटेलाइट Gisat1 और माइक्रोसैट लॉन्च के लिए तैयार है। जो कि अब अगले साल के शुरुवात में प्रक्षेपित किए जाएंगे। इन उपग्रहों का कोड़ नेम बदला जा सकता है। GiSat 1 को मार्च इस साल प्रक्षेपित किया जाना था लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण रद्द करना पड़ा था। जिसके बाद कोरॉना के चलते इसरो के बजट पर भी इसका खासा असर पड़ा है।
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) या मिनी PSLV और साथ ही री युसेबल लॉन्च व्हीकल का परीक्षण भी अगले साल किया जाएगा। कई दशकों से नेटवर्क कनेक्टिविटी का इंतजार कर रहे अंडमान और निकोबार आइलैंड में एक और सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केवल करीब 2313 किलोमीटर का बिछाया जा रहा है। वहीं इस संचार उपग्रह से देश के ग्रामीण इलाकों और खास कर लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में नेटवर्क कनेक्टिविटी मिलेगी जो देश के डिजिटल भारत के कदम को और मजबूत करेगा।
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