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भारत में नहीं होगी वैक्‍सीन की कमी, रूस से आ रही कोरोना टीकों की पहली खेप

April 28, 2021

मॉस्को। भारत में कोरोना की वैक्सीन की मात्रा बढ़ने वाली है. रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-V (Sputnik-V) की पहली खेप भारत में 1 मई को पहुंच जाएगी. ये बात रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) क प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने बताई है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कोरोना वैक्सीन के कितनी डोज भारत भेजी जा रही हैं.
किरिल डिमित्रिएव (Kirill Dmitriev) ने कहा कि रूस कोरोना संकट की इस घड़ी में भारत के साथ खड़ा है. हम महामारी से लड़ने में भारत की पूरी मदद करेंगे. हमें पता है कि भारत इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है. सोमवार को ही भारत में 3.52 लाख कोरोना केस आए थे. यह एक दिन में आने वाले सबसे ज्यादा कोरोना केस का रिकॉर्ड था.



रूस की संस्था RDIF स्पुतनिक-V वैक्सीन की सप्लाई दुनिया के कई देशों में कर रहा है. RDIF ने भारत के पांच बड़ी दवा कंपनियों के साथ एक साल में 850 मिलियन डोज यानी 85 करोड़ डोज बनाने की डील की है. किरिल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत में गर्मियों के मौसम में हर महीने 5 करोड़ डोज तैयार होने लगेंगी. जो आगे चलकर और बढ़ेंगी.
भारत सरकार ने कोरोना टीकों, मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन और कोरोना संबंधित मेडिकल यंत्रों पर कस्टम ड्यूटी हटा दी है. ताकि देश को इस संकट काल में आसानी से विदेशी मदद मिल सके. इसके अलावा मॉडर्ना, जॉन्सन एंड जॉन्सन ने भी भारत में उनकी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति मांगी है.
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की वैक्सीन निर्माता कंपनियों के प्रमुखों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. साथ ही उनसे अपील की थी कि दवा कंपनियां टीकों की उत्पादन क्षमता को तेजी से बढ़ाए. ताकि जल्द से जल्द भारतीय लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके.
इस महीने की शुरूआत में ही DCGI ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V (Sputnik-V) के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी थी. भारत में स्वदेशी जाइडस कैडिला, बायोलॉजिकल ई और जेन्नोवा की वैक्सीन का एडवांस्ड क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. इनके आने के बाद वैक्सीन को लेकर और सहूलियत हो जाएगी.
मार्च के महीने में रूस के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उनकी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-V कोरोना के सभी नए वैरिएंट्स यानी स्ट्रेन्स पर असरदायक है. रूस के साइंटिस्ट्स ने कोरोना के नए स्ट्रेन्स पर अपनी वैक्सीन की जांच के लिए स्पुतनिक-V (Sputnik V) रीवैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया था. जिसमें स्पुतनिक-V ने काफी असरदार परिणाम दिए हैं.
स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन को विकसित करने वाली टीम के साइंटिस्ट डेनिस लोगुनोव ने बताया कि रूस के गामालेया सेंटर में हाल ही में एक स्टडी हुई है. इसमें ये बात पता चली है कि स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में विकसित हुए नए कोरोना वायरस सट्रेन के खिलाफ असरदार है. ये परिणाम री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम के दौरान सामने आए हैं.
स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन नुकसान न पहुंचाने वाले वायरस के जरिए बनी है. इन्हें व्हीकल या वेक्टर कहते हैं. ये ऐसे जेनेटिक सूचनाएं लेकर शरीर में जाते हैं जिनकी वजह से शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनती है यानी इम्यूनिटी बढ़ती है और एंटीबॉडीज बनते हैं. साथ ही भविष्य के संक्रमण से बचाती हैं.
री-वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत स्पुतनिक-V (Sputnik V) वैक्सीन का ही उपयोग किया गया था. डेनिस लोगुनोव ने बताया कि इस ट्रायल के दौरान हमें पता चला कि स्पुतनिक-V (Sputnik V) फिलहाल दुनिया में मौजूद हर तरह के कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम है. हालांकि, कुछ साइंटिस्ट्स को इस बात का शक है कि कहीं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता वैक्सीन को ही बाहरी वैक्टर समझ कर उलटा रिएक्ट कर दे. उसे घुसपैठिया समझकर उससे संघर्ष न करने लगे.

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