नई दिल्ली। भारत को 2021 में पड़ी अत्यधिक गर्मी से सेवा, विनिर्माण, कृषि और निर्माण क्षेत्रों में करीब 13 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों में देश को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 5.4% यानी 159 अरब अमेरिकी डॉलर आय का नुकसान हुआ।
अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से तैयार जलवायु पारदर्शिता रिपोर्ट-2022 में कहा गया है कि भारत में गर्मी के संपर्क में आने से 167 अरब संभावित श्रम घंटों का नुकसान हुआ, जो 1990-1999 के मुकाबले 39% अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार यदि वैश्विक औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो भारत में श्रम उत्पादकता में 1986-2006 के मुकाबले 5% की गिरावट आ सकती है।
यदि वैश्विक तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस और तीन डिग्री सेल्सियस की रफ्तार में 2.7 गुना बढ़ जाता है तो श्रम उत्पादकता में गिरावट 2.1 गुना अधिक होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-2021 के बीच चक्रवात, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक घटनाओं ने 3.6 करोड़ हेक्टेयर में फसलों को नुकसान पहुंचाया। इसकी वजह से किसानों को 3.75 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 3.2 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ।
नदियों की बाढ़ में 49% हो सकती वृद्धि
तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि से देश में नदियों की बाढ़ से वार्षिक क्षति 49% बढ़ सकती है। वहीं, चक्रवात से होने वाले नुकसान में 5.7% की बढ़ोतरी होगी।
बारिश के पैटर्न में बदलाव
भारत में पिछले 30 वर्षों में वर्षा का पैटर्न बदल गया है, जिससे कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन जैसी कई आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।
बर्फबारी में आएगी गिरावट
गर्मी 1.5 डिग्री बढ़ने पर भारत में बर्फबारी 13% गिर जाएगी। तापमान तीन डिग्री बढ़ने पर इसमें 2.4 गुना कमी होगी।
तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री के नीचे रखने पर सहमत हैं देश
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनियाभर के देशों ने 2015 में पेरिस समझौते के तहत इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे और हर हाल में दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर सहमति जताई है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved