इस्लामाबाद। पहले पहल अपने पड़ोसी देशों और फिर मित्र देशों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की आपूर्ति करने के बाद भारत की पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार पाकिस्तान को भी जल्द ही स्वदेशी कोरोना वैक्सीन की 1.6 करोड़ डोज मुफ्त में देगी. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड (Covishield) गावी (वैक्सीन और टीकाकरण के लिए वैश्विक गठबंधन) के जरिये पाकिस्तान पहुंचेगी. इस वैक्सीन की मदद से पाकिस्तान (Pakistan) अपनी 4.5 करोड़ आबादी के लिए टीकाकरण शुरू करेगा. जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह जानकारी दी है.
स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआइएच) के अधिकारियों ने पीएसी को बताया कि पाकिस्तान का टीकाकरण कार्यक्रम मुख्य तौर पर गावी के जरिये मिलने वाली मुफ्त वैक्सीन पर निर्भर है, क्योंकि चीन निर्मित वैक्सीन कैनसिनो की कीमत पाकिस्तानी मुद्रा में प्रति व्यक्ति करीब दो हजार रुपये (13 डॉलर) पड़ेगी. ऐसे में गंभीर आर्थिक संकट से दो-चार हो रहा पाकिस्तान इतना खर्च करने की स्थिति में नहीं है. यदि निजी स्तर पर भी टीकाकरण अभियान को बढ़ाया जाए, तो आसमान छूती महंगाई के बीच बड़ी आबादी कोरोना वैक्सीन से वंचित ही रह जाएगी.
अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान को भारत निर्मित कोरोना वैक्सीन इस महीने के मध्य तक मिल जाएगी. इसके शेष डोज जून तक पाकिस्तान पहुंचेगी. पाकिस्तान अपने 4.5 करोड़ नागरिकों को टीका लगाने के लिए गावी कोवैक्स के माध्यम से ही कोरोना वैक्सीन हासिल करेगा. देश में तेजी से हो रहे कोरोना टीकाकरण के बीच भारत दूसरों देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद करने के अपने वादे के साथ भारत अब पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी वैक्सीन की आपूर्ति करेगा.
जनवरी माह अंत में कोरोना प्रतिबंधों में नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर की ओर से ढील दिये जाने के कारण पाकिस्तान में पिछले पखवाड़े कोरोना वायरस मामलों में 50 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गयी है.इसके बाद 24 फरवरी को, एनसीओसी ने व्यावसायिक गतिविधियों, स्कूलों, कार्यालयों और अन्य कार्यस्थलों पर अधिकांश कोरोनो वायरस संबंधी प्रतिबंधों की छूट की घोषणा की, ताकि वे पूरी ताकत के साथ काम कर सकें. इसके बाद विगत दिनों दो हफ्तों से भी कम समय में कोरोना संक्रमण के मामले लगभग 50 प्रतिशत बढ़े हैं.
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