नई दिल्ली: भारत सेना के तीनों विंग के लिए हाई एल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (HALF) प्रीडेटर ड्रोन डील पर अमेरिका के साथ बातचीत में था. सेना के प्रत्येक विंग भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए 10-10 ड्रोन खरीदने का प्लान था. अब सरकार ने अपने प्लान में बदलाव किया है. भारत 30 की जगह 18 ड्रोन खरीदेगा, जिनमें सेना के तीनों विंग को 6-6 ड्रोन दिए जाएंगे.
केंद्र सरकार प्रीडेटर बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स के साथ संपर्क में है. कंपनी के साथ बातचीत पक्की होने के बाद अमेरिका और भारत सरकार के बीच डील फाइनल की जाएगी. प्रीडेटर ड्रोन डील भारत के लिए कई मायनों में अहम है. अमेरिकी सेना इस ड्रोन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रही है. इस ड्रोन की मदद से अमेरिकी सेना ने कई बड़े ऑपरेशन को भी अंजाम दिया है.
भारत इस खास ड्रोन का इस्तेमाल चीन सीमाओं की निगरानी और हिंद महासागर में निगरानी के लिए करेगा. ड्रोन डील पर बातचीत पिछले साल ही शुरू हुई थी, लेकिन लंबे समय से इसपर कोई अपडेट नहीं आया. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो एनएसए अजीत डोभाल ने अमेरिका दौरे पर अपने समकक्ष जेक सुविलियन से बातचीत की थी. MQ-98 प्रीडेटर-आर्म्ड ड्रोन डील पर चर्चा को आगे बढ़ाने पर कथित रूप से दोनों पक्ष ने सहमति भी जताई थी.
प्रीडेटर ड्रोन का दुश्मन को धुल चटाने में इस्तेमाल किया जाएगा. इस घातक ड्रोन में चार हेल-फायर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल और दो सटीक निर्देशित गोला-बारूद के साथ ऑपरेशन को सटीकता से अंजाम देने की क्षमता है. भारत के पास अभी मध्यम ऊंचाई वाले ड्रोन हैं. प्रीडेटर की मदद से रियल-टाइम इन्फोर्मेशन हासिल की जा सकती है. सीमाओं पर चल रही दुश्मन की गतिविधियों को आसानी से ट्रेस किया जा सकता है. खासतौर पर इंडो-पैसिफिक में भारतीय ऑपरेशन को इस ड्रोन से बल मिलेगा.
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