न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) (United Nations Security Council – UNSC) में भारत (India) ने आतंकवादियों (terrorists) के रासायनिक हथियारों (chemical weapons) को हासिल करने के प्रति दुनिया को चेतावनी दी है। भारत ने कहा, वह बार बार आतंकी गुटों और व्यक्तियों के रासायनिक हथियारों तक पहुंच प्राप्त करने की संभावना के प्रति आगाह करता रहा है।
यूएनएससी में ‘रासायनिक हथियारों के उपयोग’ के खतरे पर संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा कि भारत कई बचे मुद्दों को हल करने के लिए सीरिया और रासायनिक हथियार निषेध संगठन तकनीकी सचिवालय के बीच निरंतर जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है।
उन्होंने कहा, भारत किसी के द्वारा, कहीं भी, किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ है। भारत ने लगातार कहा है कि रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की कोई भी जांच निष्पक्ष, विश्वसनीय और उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए।
भारत ने दिया 2 लाख डॉलर का योगदान
आतंकियों तक रासायनिक हथियारों की पहुंच रोकने के समाधान में भारत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए राजदूत ने कहा कि इस दिशा में भारत ने जांच के समर्थन करने के लिए दो लाख डॉलर का योगदान दिया है। दूत माथुर ने कहा, हम रासायनिक सम्मेलन को अत्यधिक महत्व देते हैं और इसके पूर्ण, प्रभावी और गैर-भेदभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए हमेशा खड़े हैं।
क्या है रासायनिक हथियार निषेध संगठन
रासायनिक हथियार निषेध संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ समर्थित एक संस्था है जो दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिए काम करती है। वर्तमान में यह संस्था सीरिया में हथियारों को समाप्त करने का काम देख रही है। संस्था को 2013 का नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने में विकसित देश आगे आएं : भारत
भारत ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन का अधिकतम प्रभाव गरीब देश और कमजोर समुदाय झेल रहे हैं, जबकि वे इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शून्य के स्तर तक पहुंचाने के लिए विकसित देश अग्रणी भूमिका निभाएं।
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करने और 2050 तक शून्य तक पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया है। यूएन में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा, गरीब देश व कमजोर समुदाय इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं।
इनके पास हालात बदलने के लिए वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता की भी कमी है। ऐसे में विश्व स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शून्य तक ले जाने का लक्ष्य समानता सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि अफ्रीकी देश इससे सहमत होंगे।
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