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    चीन को घेरने के लिए भारत-वियतनाम के रिश्ते मजबूत हो रहे, दोनों देशों के बीच संधि की संभावना

  • December 21, 2020

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके वियतनामी समकक्ष गुयेन जुआन फुक के बीच सोमवार को डिजिटल सम्मेलन में रक्षा, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों समेत समग्र द्विपक्षीय संबधों को और विस्तार देने के लिए कई समझौते एवं कुछ खास घोषणाएं होने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों का कहना है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति का मुद्दा चर्चा के दौरान प्रमुख रूप से उठने की उम्मीद है क्योंकि दोनों ही देशों के मुक्त, खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियमाधारित क्षेत्रीय व्यवस्था में साझा हित हैं। उन्होंने बताया कि बैठक में दोनों ही पक्ष भारत-वियतनाम समग्र रणनीतिक साझेदारी के भावी विकास के लिए संयुक्त दृष्टिपत्र जारी कर सकते हैं जिसका लक्ष्य विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मार्ग तय करना होगा।

    भारत और वियतनाम 2016 में अपने द्विपक्षीय संबंध को आगे बढ़ाकर समग्र रणनीतिक साझेदारी तक ले गए थे। रक्षा सहयोग इस तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के अहम स्तंभों में एक रहा है। सूत्रों ने बताया कि वियतनाम के वास्ते तीव्र गति वाली गश्ती नौकाओं के लिए रक्षा ऋण सहायता को बैठक के दौरान आगे बढ़ाने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि चीन के प्रति भारत का नजरिया लद्दाख घटना के बाद बदल गया है। बदली हुई रणनीति पर काम करते हुए भारत अब चीन के पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने में जुटा है। गौरतलब है कि भारत अपने इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन – आइटेक प्रोग्राम के तहत वियतनाम के सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दे रहा है।

    इसके तहत वहां के अधिकारी हर साल भारत में आते हैं। इसके बाद उन्हें सेना, वायु सेना और नौसेना संचालन की ट्रेनिंग के साथ ही कमांडर कार्रवाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इससे पहले साल 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम का दौरा किया था। इस दौरान भारत और वियतनाम के बीच रिश्ते मजबूत हुए थे। इस दौरे में भारत और वियतनाम के बीच समग्र रणनीतिक भागीदारी पर संधि हुई। ये संधि वियतनाम ने सिर्फ रूस और चीन के साथ की है। साल 2018 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने वियतनाम का दौरा किया था। इसके बाद 2019 में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी वियतनाम गए थे।

    वर्ष 2018 में वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई और प्रधानमंत्री न्गुयेन शुआन फुक भी भारत आए थे। वियतनाम के साथ होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मोदी आसियान समिट में हिस्सा ले चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन के तानाशाही रवैये से जूझ रहा है। इस इलाके में चीन अपने पड़ोसी वियतनाम समेत सभी 12 देशों के दावे को खारिज कर दक्षिण चीन सागर पर अपना एकाधिकार जताता रहा है। इस मसले पर भारत और वियतनाम का सहयोग बढ़ा है।

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