नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का कच्चे तेल का आयात बिल लगभग दोगुना होकर 119 अरब डॉलर पर पहुंच गया। मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का कच्चे तेल (India’s crude oil) के आयात पर खर्च लगभग दोगुना होकर 119 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसकी वजह मांग में वृद्धि और यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक स्तर (global scale) पर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी है। भारत तेल की खपत और आयात करने के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है।
पीपीएसी के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 21.22 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इससे पिछले वर्ष 19.65 करोड़ टन तेल आयात किया था, हालांकि यह महामारी से पहले के वर्ष 2019-20 के मुकाबले कम है जब 22.7 करोड़ टन तेल आयात किया गया था। तब तेल आयात पर 101.4 अरब डॉलर खर्च हुए थे। अपनी कच्चे तेल की 85.5 फीसदी जरूरतों के लिए भारत आयात पर निर्भर करता है। पीपीएसी के मुताबिक 2019-20 में भारत की तेल आयात पर निर्भरता 85 फीसदी थी जो इसके बाद के वर्ष में कुछ गिरकर 84.4 फीसदी हो गई लेकिन 2021-22 में यह एक बार फिर बढ़कर 85.5 फीसदी पर पहुंच गई।
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