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    भारत को रूस के खिलाफ होना चाहिए खड़ा, जानिए ब्रिटेन ने ऐसा क्‍यों कहा…

  • March 08, 2022

    नई दिल्ली। ब्रिटेन (Britain) की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने कहा है कि भारत का रूस के खिलाफ वोट ना करने का फैसला उसकी रूस पर निर्भरता के चलते हैं. ट्रस ने भारत (India) से रूस के खिलाफ खड़ा होने को भी कहा.ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने कहा है कि भारत कुछ हद तक रूस पर निर्भर करता है, जो उसकी संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में रूस की निंदा में लाए गए प्रस्ताव पर वोट के दौरान गैरहाजिर रहने के लिए जिम्मेदार है. रूस के यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के कारण संयुक्त राष्ट्र में रूस(Russia) के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर मतदान से भारत गैरहाजिर रहा था. ब्रिटिश मंत्री ने एक संसदीय समिति को बताया, “यहां मुद्दा यह है कि भारत कुछ हद तक रूस पर निर्भर करता है. यह निर्भरता रक्षा संबंधों में भी है और आर्थिक संबंधों में भी. और मेरा मानना है कि आगे बढ़ने के लिए भारत के साथ रक्षा और आर्थिक संबंधों में नजदीकियां बढ़ानी होंगी” ट्रस ने कहा कि उन्होंने इस बारे में भारतीय विदेश मंत्री से बात की है.

    उन्होंने कहा, “मैंने अपने समकक्ष जयशंकर से बात की है और भारत को रूस के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित किया है.” भारत रूस के साथ? भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और फिर महासभा में भी रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव में भारत के अलावा यूएई और चीन ने भी मतदान से गैरहाजिर रहने का फैसला किया था, जिसे पश्चिमी देश रूस के समर्थन के रूप में देख रहे हैं. यूक्रेन पर भारत के 'निष्पक्ष' रुख का रूस ने किया स्वागत यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र की महासभा के विशेष आपात सत्र बुलाने पर सुरक्षा परिषद में मतदान हुआ और इस बार भी भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. भारत का कहना है कि हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए और कूटनीति और बातचीत से समस्या को सुलझाना चाहिए. भारत ने इस बारे में एक बयान जारी कर बताया था कि उसने मतदान में हिस्सा ना लेना का फैसला क्यों किया.



    अपने बयान में उसने कहा, “भारत यूक्रेन के ताजा घटनाक्रम से बहुत व्याकुल है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा रोके जाने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए. सभी सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए एक रचनात्कम हल खोजना चाहिए.” पश्चिमी देश नाखुश भारत के इस रुख से पश्चिमी देश बहुत ज्यादा खुश नहीं रहे हैं. हाल ही में भारत में जर्मनी के राजदूत वॉल्टर लिंडनर ने उम्मीद जताई थी कि आने वाले दिनों में भारत रूस को लेकर संयुक्त राष्ट्र में अपना रवैया बदलेगा. लिंडनर ने 'द हिंदू' अखबार को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भले ही यूक्रेन भारत से दूर हो, “लेकिन अगर हम यूक्रेन के नागरिकों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को बर्दाश्त करते हैं.

    …तो यह दुनिया में और स्थानों तक भी फैल सकता है, हो सकता है भारत के काफी करीब भी” भारत को महंगी ना पड़ जाए यूक्रेन पर 'चुप्पी' लिंडनर ने आगे कहा, “अभी भी समय है, हम भारत को अपने विचार बता रहे हैं. अगर इस तरह का युद्ध को उकसावा एक नया नियम बन गया तो सबका नुकसान होगा और हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बात को भारत में स्वीकारा जाएगा और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्पष्टीकरण में या मत में या मतदान के स्वरूप में कुछ बदलाव आएगा” इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूस को लेकर अभी तक भारत की स्थिति का “समाधान नहीं निकला है” और इस पर अमेरिका भारत से “अभी भी बातचीत कर रहा है” इसी बयान के बाद सुरक्षा परिषद में मतदान हुआ था, जिससे भारत गैरहाजिर रहा था.

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